नामीबिया पहुंचे पीएम मोदी, पारंपरिक तरीके से हुआ भव्य स्वागत, खुद बजाया ढोल

Namibia: PM नरेंद्र मोदी अंतिम देश की यात्रा के लिए नामीबिया पहुंच गए है. होसेआ कुटाको अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर PM मोदी का पारंपरिक तरीके से भव्य स्वागत किया गया और नामीबिया के कलाकारों ने ड्रम बजाकर स्वागत किया. PM मोदी इस स्वागत से इतने खुश हुए कि खुद ढोल बजाने लगे थे. हवाई अड्डे के बाद PM मोदी राजधानी विंडहॉक पहुंचे जहां अधिक संख्या में स्थानीय लोगों ने हाथों में बैनर लेकर स्वागत किया.

सहयोग के नए अवसर

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति नंदी-नदैतवा के बीच हुई बातचीत में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है. दोनों के बीच ऊर्जा और खनिज संसाधन, स्वास्थ्य सेवा और दवा क्षेत्र में सहयोग को लेकर चर्चा हो सकती है. इसके अलावा शिक्षा, कृषि, जलवायु परिवर्तन और स्किल डेवेलपमेंट समेत डिफेंस, साइबर सुरक्षा, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और स्टार्टअप सहयोग पर भी समझौते के आसार दिखाई दे रहे हैं. भारत पहले से ही नामीबिया को तकनीकी और मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में सहायता दे रहा है. यह यात्रा निवेश और व्यापार को नए स्तर तक ले जाने का अवसर है.

यूरेनियम निर्यात पर हो सकती है चर्चा

PM नरेंद्र मोदी की नामीबिया यात्रा कई मायनों में अहम मानी जा रही है दोनों देशों के बीच आर्थिक संबधों को मजबूत बनाने के लिए चर्चा की जाएगी. नामीबिया के पास तेल और गैस का भंडार है इसलिए  यूरेनियम निर्यात, रक्षा क्षेत्र, खनीज, तेल और डायमंड समझौते के लिए हस्ताक्षर किए जा सकते है.

नामीबिया में पीएम मोदी को दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर

नामीबिया के स्टेट हाउस में प्रधानमंत्री मोदी का औपचारिक स्वागत किया गया. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इस दौरान पीएम मोदी को 21 बंदूकों की सलामी दी गई.

भारतीय समुदाय से मिले पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने नामीबिया की राजधानी विंडहॉक में भारतीय समुदाय से मुलाकात की. पीएम मोदी जिस होटल में ठहरे हैं, उसमें प्रधानमंत्री से मिलने बड़ी संख्या में भारतीय और भारतवंशी लोग पहुंचे. 

प्रधानमंत्री मोदी सैम नुजोमा को देंगे श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री मोदी, नामीबिया के संस्थापक राष्ट्रपति डॉ. सैम नुजोमा को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. नुजोमा को नामीबिया की स्वतंत्रता का प्रतीक माना जाता है. भारत और नामीबिया के ऐतिहासिक संबंध उपनिवेशवाद विरोधी संघर्षों की साझा विरासत से जुड़े हैं. यह श्रद्धांजलि सिर्फ औपचारिकता नहीं बल्कि भारत की विरोधी संघर्षों के प्रति संवेदनशीलता और समर्थन का प्रतीक है.

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