New Delhi: विदेश मंत्री एस जयशंकर इंडोनेशिया में 13वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित किया। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को चीन पर हमला बोलते हुए कहा कि पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (आसियान) को संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान के साथ एक स्वतंत्र, खुले, समावेशी और नियम-आधारित हिंद प्रशांत के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए।
आसियान का समर्थन करता है भारत
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आसियान भारत की एक्ट ईस्ट नीति और हिंद प्रशांत के व्यापक दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। यह हिंद प्रशांत को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत दृढ़ता के साथ आसियान (ASEAN) का समर्थन करता है।
हिंद प्रशांत पर चर्चा
विदेश मंत्री ने कहा कि पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन को संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान के साथ एक स्वतंत्र और खुले हिंद प्रशांत के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। बता दें, हिंद प्रशांत एक जैव-भौगोलिक क्षेत्र है, जिसमें हिंद महासागर और दक्षिणी चीन सागर सहित पश्चिमी और मध्य प्रशान्त महासागर का हिस्सा शामिल है।
चीन का दक्षिण चीन सागर पर दावा
दरअसल, अमेरिका, भारत और कई अन्य देश क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों को देखते हुए एक स्वतंत्र, खुले और संपन्न हिंद प्रशांत को सुनिश्चित करने की आवश्यकता के बारे में बात कर रहे हैं। दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे हिस्से पर चीन अपना दावा करता है। जबकि ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम का भी कहना है कि उनका भी कुछ हिस्सा इसमें है।
चीन ने बनाए आर्टिफिशियल द्वीप
बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में आर्टिफिशियल द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हुए हैं। चीन का पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ भी विवाद है। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत द्वारा प्रस्तावित इंडो-पैसिफिक ओशिएन्स इनिशिएटिव (आईपीओआई) और एओआईपी के बीच बहुत अच्छा तालमेल है। उन्होंने कहा कि क्वाड हमेशा आसियान का पूरक रहेगा।
क्वाड आसियान का रहेगा पूरक
उन्होंने कहा कि चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (क्वाड) हमेशा आसियान का पूरक रहेगा। एओआईपी क्वाड की परिकल्पना में योगदान देता है। भारत हिंद-प्रशान्त में आसियान की केन्द्रीयता की पुष्टि करता है और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन को मजबूती देने की बात करता है।