Nitin Gadkari: 40 प्रतिशत वायु प्रदुषण के लिए परिवहन क्षेत्र जिम्मेदार, वैकल्पिक ईंधन की है जरूरत

Delhi News: इस समय दिल्‍ली वायु प्रदुषण का प्रकोप झेल रही है। इसी दौरान केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि भारत में कुल वायु प्रदूषण में परिवहन क्षेत्र का सबसे बड़ा हाथ है। इस मामले में परिवहन के द्वारा प्रदुषण 40 प्रतिशत है। वहीं, पीटीआई ने बताया कि मंत्री ने समस्या को कम करने के लिए हरित ईंधन विकल्पों के विकास की जरूरत को भी दोहराया। नितिन गडकरी पिछले कई वर्षो से वैकल्पिक हरित ईंधन के विकास की जरूरत पर जोर दे रहे है।

उन्‍होने कहा कि ट्रांसपोर्ट सेक्टर में वैकल्पिक ईंधन की जरूरत है। हरित हाइड्रोजन जैसे हरित ईंधन के विकास की जरूरत पर भी  उन्‍होन बल दिया। उन्‍होने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन की कीमत मौजूदा समय में 300 रुपये प्रति किग्रा से कम करके 83 रुपये प्रति किग्रा करने की जरूरत है।

गडकरी ने कहा कि इसके समाधान इलेक्ट्रोलाइजर के आजमाए हुए रास्ते से परे भी पाया जा सकता है और आईआईएससी बेंगलुरु द्वारा किए गए शोध की ओर इशारा किया, जहां संस्थान बायोमास का इस्तेमाल करके प्रति किलो 150 रुपये की लागत हासिल करने में सफल रहा है। गडकरी ने वायु प्रदूषण के संकट से जूझ रही नई दिल्ली के मामले का हवाला देते हुए कहा, “परिवहन देश में 40 प्रतिशत वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं… परिवहन मंत्री के रूप में, वास्तव में मैं इसके लिए जिम्मेदार हूं।” गडकरी ने कहा, “परिवहन क्षेत्र में वैकल्पिक ईंधन की जरूरत है।”

परिवहन मंत्री ने वहीं कहा कि साबित हुई टेक्नोलॉजी, आर्थिक व्यवहार्यता, तैयार उत्पाद की बिक्री और आयात प्रतिस्थापन ऐसी महत्वपूर्ण रणनीतियां हैं जिनका देश को हरित ईंधन विकल्प विकसित करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पालन करने की जरूरत है। उन्होंने व्यवहार्य हरित ईंधन विकल्प के रूप में जैव ईंधन के महत्व पर जोर दिया। गडकरी ने कहा है कि पूरे भारत में वैकल्पिक ईंधन विकास पर 135 परियोजनाएं चल रही हैं।

उनका मानना है कि आगे चलकर कारों की भी काफी मांग रहेगी। इसे देखते हुए उद्योग को वैकल्पिक हरित ईंधन विकल्प विकसित करने पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके अलावा, मंत्री ने आगे कहा कि उनका लक्ष्य तीन साल में भारत को 15 लाख करोड़ रुपये के उद्योग के साथ दुनिया का सबसे बड़ा ऑटो निर्माता बनाना है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत पहले ही जापान को पछाड़कर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो निर्माता बन गया है।

 

 

 

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