SC: सुप्रीम कोर्ट ने तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में एक अहम फैसला सुनाया है. बीते मंगलवार (2 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला, विवाह के समय अपने माता-पिता द्वारा उसे या उसके पति को दी गई नकदी, सोना और अन्य वस्तुएं कानूनी रूप से वापस पाने की हकदार है. कोर्ट ने ये भी कहा कि ऐसी वस्तुओं को महिला की संपत्ति माना जाना चाहिए और जब विवाह खत्म हो जाए यानी तलाक हो जाए तो उसे वापस कर देना चाहिए.
पीठ ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों की व्याख्या इस तरह से की जानी चाहिए कि समानता और स्वायत्तता का संवैधानिक वादा पूरा हो, न कि इसे विशुद्ध रूप से नागरिक विवाद के नजरिए से देखा जाए.
सभी संपत्तियों का हकदार
पीठ ने कहा कि भारत का संविधान सभी के लिए एक आकांक्षा, यानी समानता, निर्धारित करता है, जो स्पष्ट रूप से अभी तक हासिल नहीं हुई है. इस दिशा में अपना योगदान देते हुए, न्यायालयों को सामाजिक न्याय के निर्णयों पर आधारित तर्क देना चाहिए. 1986 के अधिनियम की धारा 3 का उल्लेख है, जो स्पष्ट रूप से तलाकशुदा मुस्लिम महिला को उसके रिश्तेदारों या दोस्तों या पति या पति के किसी रिश्तेदार या उसके दोस्तों द्वारा शादी से पहले या शादी के समय या शादी के बाद दी गई सभी संपत्तियों का हकदार बनाती हैं.
फैसले का महत्व
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न सिर्फ एक कानूनी व्याख्या है, बल्कि समाज में महिलाओं के हकों को मजबूत करने वाला कदम भी है. यह आदेश खासतौर पर उन तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के लिए बड़ी राहत साबित होगा, जिन्हें अक्सर शादी में मिली संपत्ति वापस पाने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है.
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