Supreme Court: न्यायिक अधिकारी की छवि खराब करने वाले आरोपी की याचिका खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने कहा…

New Delhi News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक जिला न्यायाधीश के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के लिए एक व्यक्ति को 10 दिन की जेल की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट के इस आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में सजा को कम करने की मांग की गई थी। वही इस याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई।

इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया का उपयोग करके न्यायिक अधिकारियों को बदनाम नहीं किया जा सकता है।

न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की अवकाश पीठ ने कहा कि वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं। ये दूसरों के लिए सीख होनी चाहिए। पीठ ने कहा कि अगर आपको आपके मनमर्जी का आदेश नहीं मिलता है। इसका मतलब यह नहीं कि आप न्यायिक अधिकारी को बदनाम करें। न्यायमूर्ति ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता का अर्थ केवल कार्यपालिका से ही नहीं बल्कि  बाहरी ताकतों से भी है।

न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने कहा कि किसी न्यायिक अधिकारी पर कोई आरोप लगाने से पहले दो बार सोचना चाहिए था। उन्होंने न्यायिक अधिकारी को बदनाम किया। पीठ ने कहा कि जरा न्यायिक अधिकारी की छवि को हुए नुकसान के बारे में सोचें।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट से सजा में नरमी बरतने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा मामला है और आवेदक 27 मई से पहले ही जेल में है। इस पर पीठ ने कहा कि हम यहां दया के लिए नहीं, सही फैसला करने के लिए हैं।

मध्य प्रदेश  हाई कोर्ट ने एक जिला न्यायाधीश के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने को लेकर कृष्ण कुमार रघुवंशी के खिलाफ शुरू किए गए आपराधिक अवमानना मामले में 10 दिन की जेल की सजा सुनाई थी। इस आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई कर रहा था।

रघुवंशी के खिलाफ कार्यवाही अदालत की अवमानना अधिनियम की धारा 15(2) के तहत अतिरिक्त जिला न्यायाधीश एसपीएस बंदेला द्वारा किए गए एक संदर्भ के जवाब में शुरू की गई थी। यह संदर्भ रघुवंशी द्वारा मंदिर से जुड़े एक विवाद में अदालत के आदेशों  की अवहेलना और व्हाट्सएप के माध्यम से अदालत की छवि और प्रतिष्ठा को बदनाम करने वाले एक पत्र के प्रसार पर आधारित था।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *