पटना। जनता दल (यूनाइटेड) के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार ने बुधवार को आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर देश की राजनीति में एक नया इतिहास रचा है। लम्बे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले ऐसे अनेक नेता हैं लेकिन उन्हें आठ बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ। छात्र आन्दोलन से राजनीति में आए नीतीश कुमार सबसे पहले वर्ष 2000 में सात दिन के लिए बिहार के मुख्यमंत्री बने थे।
उसके बाद 22 वर्षों की राजनीतिक यात्रा में वह सात बार मुख्यमंत्री बने जो एक कीर्तिमान है। राज्यपाल फागू चौहान ने राजभवन में आयोजित एक समारोह में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। भाजपा- जदयू गठबन्धन टूटने के बाद नवगठित महागठबन्धन सरकार का यह पहला शपथ ग्रहण समारोह था।
इस महागठबन्धन में कांग्रेस, वामपंथी दल और जीतनराम मांझी की पार्टी हम के साथ निर्दलीय भी शामिल हैं। तेजस्वी यादव दूसरी बार उप मुख्यमंत्री बने हैं। यह बिहार की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत है, जिसमें चुनौतियां भी कम नहीं है। मंत्रिमण्डल के विस्तार में सभी सहयोगी दलों की समुचित सहभागिता और उनके लिए विभागों का बंटवारा भी महत्वपूर्ण विषय है, जो सरकार की स्थिरता और उसके भावी स्वरूप को निर्धारित करेगा।
वर्तमान विधानसभा के लगभग तीन वर्षों का समय शेष है, जिसमें महागठबन्धन सरकार को अपनी क्षमता का प्रदर्शन करते हुए जनाकांक्षा की कसौटी पर भी खरा उतरना होगा। सरकार में समन्वय और सन्तुलन बहुत जरूरी है जिससे कि सहयोगी दलों में किसी प्रकार का असन्तोष उत्पन्न न हो सके। यह महागठबन्धन 2024 के लोकसभा चुनावों को कितना प्रभावित करेगा, यह सरकार के काम पर निर्भर करता है।
यदि अच्छा काम होता है तो इससे महागठबन्धन की ताकत बढ़ेगी अन्यथा प्रतिकूल स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान जनता से किए गए वादों को भी पूरा करने की दिशा में ठोस कदम उठाने पड़ेंगे तभी बिहार की जनता का नई सरकार पर विश्वास बढ़ेगा और महागठबन्धन को इसका राजनीतिक लाभ भी मिलेगा।