पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि भगवान के चरणों का ध्यान सर्वप्रथम करना चाहिए। भगवान के चरणों में अड़तालीस चिन्ह है। जिनमें चार का नाम भगवान कपिल ने लिया है। सम्पूर्ण चिन्हों का ध्यान कोई करे तो अति श्रेष्ठ है। न कर सके तो चार का ध्यान कर लेना चाहिए। वज्र-भगवान के श्री चरण में बज्र का चिन्ह है। जैसे इंद्र ने अपने आयुध वज्र से बड़े-बड़े पर्वतों को पंख हीन बना करके स्थिर कर दिये,
वैसे चरणचिन्ह वज्र का ध्यान करने से जीवन के बड़े-बड़े पहाड़ जैसे दुःख समाप्त हो जाते हैं अथवा नष्ट हो जाते हैं। अंकुश-भगवान के श्री चरण में अंकुश चिन्ह है। मन मतवाले हाथी जैसा है। साधक प्रायः मन को एकाग्र करना चाहते हैं। भगवान के चरण चिन्ह अंकुश का ध्यान करने से मन का निग्रह होता है। ध्वजा-भगवान के चरण चिन्ह ध्वजा का ध्यान करने से भय मिट जाता है। साधक के मन में भय रहता है न जाने साधन सही है या नहीं।
ध्वजा का ध्यान करने से पूर्ण आत्मविश्वास जागृत हो जाता है, विघ्न बाधाएं मिट जाती है। कमल का पुष्प- भगवान के चरणचिन्ह में कमल पुष्प का ध्यान करने से अखंड लक्ष्मी का वास होता है। यह लक्ष्मी सांसारिक प्रतिष्ठा वैभव के साथ-साथ भगवान की भक्ति प्रदान करने वाली हैं। भगवान के चरण चिन्हों में एक पुरुष का चिन्ह भी है। वह बिल्कुल सीधा बैठा हुआ है। अगर हम सज्जन, सीधे, सरल बनेंगे,
तो प्रभु हमें अपने पास रखेंगे। हमारी विपरीत बुद्धि ही हमें परमात्मा से दूर कर देती है। यह मनुष्य शरीर भगवत प्राप्ति के लिये मिला है। मनुष्य किसी योग बस संसार के विषयों में जा गिरे वो बात अलग है। भोजन का थाल भगवान के लिये जा रहा था, उसमें से एक मिठाई नीचे गिर जाय तो उसका प्रारब्ध बाकी बनाया
तो उसे भी गया था भगवान के लिये। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।