Parliament Updates: संसद में संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा के बीच लोकसभा में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि मुझे गर्व है कि जब प्रधानमंत्री मोदी का कार्यकाल शुरू हुआ तो उन्होंने संविधान की इसी भावना का पालन करते हुए अपनी सरकार का मंत्र इस देश के सामने रखा, जो है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास.
उन्होंने आगे कहा कि मैं ऐसे क्षेत्र से आता हूं, जहां मैंने पहले हवाई जहाज देखे और बाद में कारें देखीं, क्योंकि मेरे सांसद बनने के बाद ही वहां कारों के लिए सड़के बनीं. रिजिजू ने कहा कि प्रधानमंत्री ने मुझे उस जगह बैठने का मौका दिया, जहां बाबा साहब भीमराव अंबेडकर बैठे थे. उन्होंने कहा कि कानून मंत्री का पद संभालने से पहले मैंने सबसे पहले यह समझने की कोशिश की कि बाबा साहब अंबेडकर क्या चाहते थे, उनके मन में कौन सी बातें और विचार थे, जो वे नहीं कर पाए.
दुनिया का सबसे सुंदर और बड़ा सविधान
ऐसे में पहली बात जो मेरे दिमाग में आई, वो ये थी कि बाबा साहब अंबेडकर इस देश के पहले कानून मंत्री बने लेकिन उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया, हालांकि इसपर अक्सर लोगों के सामने चर्चा नहीं होती है. मैने वो पढ़ा जो बाबा साहेब ने पंडित नेहरू जी को लिखा था, जो उस समय प्रधानमंत्री थे. उन्होंने कहा था कि हमारा संविधान न केवल दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है बल्कि दुनिया का सबसे सुंदर संविधान भी है.
पीड़ित अल्पसंख्यक भारत में शरण लेते हैं- रिजीजू
कानून मंत्री ने कहा कि इस समय एक नैरेटिव बनाया जा रहा है. वहीं, यूरोपियन यूनियन में सेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस के सर्वे के मुताबिक, यूरोपियन यूनियन में 48% लोग भेदभाव के शिकार हुए हैं, जिसमें अधिकतर मुसलमान है, इस्लाम को मानने वाले हैं.
उन्होंने कहा कि फ्रांस में भेदभाव की कई रिपोर्ट पेश की गईं, जिसमें बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सिर पर स्कार्फ़, बुर्का पहनने वालों पर आपत्ति जताई और कहा कि उनके साथ ये भेदभाव हो रहा है. वहीं, स्पेन में भी मुसलमानों के खिलाफ़ आंतरिक घृणा अपराधों की रिपोर्ट इतनी ज़्यादा है, इसका भी रिपोर्ट में ज़िक्र किया गया है… और पाकिस्तान की हालत आप सभी जानते ही है, इसके अलावा बांग्लादेश में क्या होता है, इससे कोई भी वंचित नहीं है.
देश की छवि को न करें खराब
किरेन रिजिजू ने कहा कि अफ़गानिस्तान में सिखों, हिंदुओं, ईसाइयों के साथ क्या हुआ है, चाहे तिब्बत की समस्या हो या म्यांमार की, श्रीलंका की या बांग्लादेश की, पाकिस्तान की या अफ़गानिस्तान की, अगर अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होता है या कोई समस्या आती है, तो सबसे पहला देश जहां वे सुरक्षा मांगने आते हैं, वो है भारत. फिर भी कहा जाता है कि इस देश में अल्पसंख्यकों के लिए कोई सुरक्षा नहीं है…मैं यह कह रहा हूं कि ऐसी बातें नहीं कही जानी चाहिए जिससे देश की छवि को नुकसान पहुंचे, मैं यह किसी एक पार्टी के लिए नहीं कह रहा हूं. मैं यह देश के लिए कह रहा हूं.
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