नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में प्राइमरी शिक्षक की नियुक्ति को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक पदों पर नियुक्ति में अनुच्छेद 14 व 16 का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। इसमें पात्रता मानदंडों में मनमानी की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि पात्रता मानदंड एक समान होना चाहिए और निरंकुश अधिकारियाें द्वारा मनमाने ढंग से चयन की गुंजाइश नहीं हो सकती। पीठ जम्मू-कश्मीर सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें हाईकोर्ट ने रैनावाड़ी के बंदूक खार मोहल्ला के प्राइमरी स्कूल में शिक्षक के एक पद पर दो उम्मीदवारों की नियुक्ति का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि इस स्कूल में नौकरी के लिए 11 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। इसमें रूही अख्तर का चयन हुआ। इस नियुक्ति को शाहीना मसरत ने चुनौती दी थी। मसरत की याचिका को एकल पीठ ने खारिज कर दिया था। इस आदेश के बाद रूही अख्तर ने एक याचिका दाखिल की जिसमें खंड पीठ ने एक महीने के भीतर रूही अख्तर की नियुक्ति करने का आदेश दिया। पीठ ने साथ ही शाहीना मसरत की नियुक्ति को भी बरकरार रखने को कहा। जम्मू कश्मीर सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए दलील दी कि हाईकोर्ट के आदेश में गलती है। कोर्ट ने एक ही पद के लिए दोनों को नौकरी पर रखने का निर्देश दिया है।