पंजाब। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद पंजाब से लेकर दिल्ली का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। इसी बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मुलाकात ने नई अटकलों को जन्म दे दिया है। भाजपा कैप्टन अमरिंदर सिंह के जरिए पंजाब में मास्टरस्ट्रोक खेलने की तैयारी में है और उनके मार्फत सांसद मनीष तिवारी व कपिल सिब्बल से भी दोस्ती का हाथ आगे बढ़ना शुरू कर दिया है। इसके बाद पंजाब में माझा से लेकर मालवा तक सियासत में खासी उथल-पुथल मचने की प्रबल संभावना दिखने लगी है तो घर की लड़ाई में व्यस्त कांग्रेस की मजबूत सियासी जमीन खिसक कर भाजपा की तरफ जाती दिखाई दे रही है। पंजाब में कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को पूरी तरह दरकिनार कर दिया है। उनके निकटवर्ती अधिकारियों को खुड्डे लाइन लगाकर ओएसडी तक की सिक्योरिटी छीन ली है। पंजाब विधानसभा चुनाव में पांच महीने बाकी हैं। ऐसे में अपनी सियासी जमीन बचाने के लिए सिर्फ बीजेपी को ही नहीं, कैप्टन को भी बीजेपी की जरूरत है। जानकारों के अनुसार इस समय कैप्टन के पास ज्यादा विकल्प नहीं है। चुनाव से पहले नई पार्टी लांच करना मुश्किल है। अकाली दल के अलग होने के बाद पंजाब में भाजपा के पास कोई बड़ा चेहरा भी नहीं है, जिसके दम पर बीजेपी सत्ता में आ सके। अगर बीजेपी में कैप्टन शामिल हो जाते हैं तो पंजाब की राजनीति में नया मोड़ आ जाएगा। इससे भाजपा को पंजाब में एक बड़ा नाम मिल जाएगा, जिसकी अभी कमी है।