राजस्व विभाग ने सर्किल रेट में संशोधन के लिए तैयार की रिपोर्ट
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग ने अलग अलग क्षेत्रों में मौजूद भू-संपत्तियों के सर्किल रेट में संशोधन करने के लिए एक रिपोर्ट तैयार की है। इसके तहत दिल्ली को क्षेत्र की खूबियों और सहूलियतों के मुताबिक आठ वर्गों में बांटा गया है। ए से एच श्रेणियों में वर्गीकरण के बाद इसे मंजूरी के लिए सरकार को भेजा जाएगा। इससे पहले रिपोर्ट की जांच मंत्री के स्तर पर की जाएगी। राजस्व विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राजस्व विभाग की एक समिति ने अलग अलग श्रेणी की भू-संपत्तियों की सर्किल दरों का मूल्यांकन करने के बाद रिपोर्ट तैयार की है। वर्तमान में नगर पालिका वर्गीकरण के मुताबिक दिल्ली को आठ श्रेणियों में बांटा गया है। संपत्तियों की दरों के बेहतर मूल्यांकन के लिए प्रत्येक श्रेणी को 3-4 उप श्रेणियों में बांटा गया है। इससे पहले दिल्ली में सर्किल दरों में 2014 में वृद्धि की गई थी। फिलहाल क्षेत्र के आधार पर नगर निगम के वर्गीकरण के मुताबिक %ए% से %एच% तक की आठ श्रेणियों में में संपत्तियों की दरें भी अलग अलग हैं। पॉश वसंत विहार ए श्रेणी के क्षेत्रों में सर्कल रेट 7.74 लाख रुपये प्रति वर्ग मीटर जबकि एच श्रेणी के तहत कम विकसित नंद नगरी जैसे क्षेत्रों में यह दर 23,280 रुपये प्रति वर्ग मीटर है। अधिकारियों के मुताबिक एक निश्चित श्रेणी के अंदर भी संपत्तियों के रेट भी अलग अलग हो सकते हैं। कम सर्कल रेट श्रेणी वाले क्षेत्रों में संपत्तियों के बाजार भाव अधिक हो सकते हैं। जमीन या किसी संपत्ति का सर्किल रेट एक मानक के तहत तयशुदा कीमत है, जिसके कम पर बिक्री नहीं की जा सकती है। कोविड महामारी काल में लॉकडाउन के दौरान पिछले साल फरवरी में दिल्ली सरकार ने आवासीय, वाणिज्यिक, औद्योगिक संपत्तियों के लिए सर्किल दरों में 20 फीसदी की कमी कर दी है। मौजूदा हालात को देखते हुए कटौती की मियाद दिसंबर तक के लिए बढ़ा दी गई है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सर्किल रेट में संशोधन से सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी की उम्मीद है। महामारी के दौरान लागू लॉकडाउन के कारण संपत्ति पंजीकरण के स्टांप शुल्क के मद में भी सरकार की प्राप्ति कम हुई। 2020-21 में स्टांप शुल्क से 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के राजस्व के लक्ष्य की तुलना में विभाग ने 3,297 करोड़ रुपये ही संग्रह किए। इसकी मुख्य वजह महामारी और लॉकडाउन के दौरान अर्थव्यवस्था में मंदी थी। विभाग ने इस वर्ष स्टांप शुल्क शुल्क से 4,997 करोड़ रुपये के अनुमानित संग्रह का लक्ष्य रखा है।