नई दिल्ली। केन्द्र सरकार का म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों को भारत की नागरिकता नहीं देने का फैसला बहुत ही उचित और देशहित में है। केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारणमंत्री अनुराग ठाकुर ने साफ तौर पर कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों को हर हाल में उनके देश वापस भेजा जाएगा।
उन्होंने केन्द्र की नीति को भी स्पष्ट किया कि अवैध प्रवासियों को देश में शरण नहीं दी जाएगी और उन्हें उनके देश भेजा जाएगा। इसके लिए उनके देशों से वार्ता हो रही है जिसे शीघ्र ही मूर्त रूप दिया जाएगा। इस समय देश में करीब 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान कई राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में शरण लिए हुए हैं, जो गम्भीर चिन्ता का विषय है।
इन शरणार्थियों में अधिकतर ऐसे हैं, जो आपराधिक चरित्र के हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो आतंकी संघटनों से जुड़े हैं जहां से उन्हें आर्थिक मदद भी मिल रही है। इन शरणार्थियों को लेकर देश की राजनीति भी गरमा गई है जो देश की सुरक्षा की अनदेखी है।
कुछ राजनीतिक दल जहां एक ओर शरणार्थियों के स्वागत को भारत की संस्कृति और परम्परा का हवाला देते हुए उनके साथ खड़े हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ प्रदेश की सरकारें अवैध प्रवासियों को वोट बैंक की राजनीति के लिए मुफ्त में बिजली, पानी और राशन की सुविधा देकर देश की सुरक्षा से समझौता करने को तैयार हैं।
इतना ही नहीं, यह भी खबर आ रही है कि इन्हें बसाने के लिए आवास देने की योजना भी बनाई जा रही है। यदि यह सच है तो यह उग्रवाद और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला है। देश की सुरक्षा पर गृहमंत्री अमित शाह का राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मेलन के समापन समारोह में दिया गया वक्तव्य अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि यह देश और युवाओं के भविष्य की लड़ाई है। सभी राज्यों को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को शीर्ष प्राथमिकता देनी चाहिए। राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि है। इस पर सभी राजनीतिक दलों को अपने निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर सोचना चाहिए।