नई दिल्ली। शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनियों की सेवाओं का इस्तेमाल कर रहे 96 प्रतिशत ग्राहकों ने सरकार से क्षेत्र के लिए नियम बनाने की मांग की है। उनका कहना है कि इन कंपनियों की ओर से पेश सेवाओं के उपयोग में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
सर्वे के मुताबिक 69 प्रतिशत ग्राहकों को ऑनलाइन माध्यम से आयोजित सत्रों में भाग लेने के लिए बुनियादी ढांचा, शिक्षकों की गुणवत्ता और सब्सक्रिप्शन शुल्क में रिफंड जैसे दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
इसमें 9 प्रतिशत लोगों को बुनियादी ढांचा की समस्या आती है। 19 प्रतिशत का कहना है कि शैक्षणिक कर्मचारी सही नहीं हैं, जबकि 10 प्रतिशत को रिफंड में दिक्कत आती है। 17 प्रतिशत को ये सभी समस्याएं आती हैं। 96 प्रतिशत ने कहा कि सरकार को अनिवार्य करना चाहिए कि ऐसे मंच अपनी वेबसाइट पर सभी शर्तों का खुलासा करें।