इच्छा का नही होना ही मोक्ष

अध्यात्म। मनुष्य की इच्छाएं अथवा वासनाएं जन्म से लेकर मृत्यु तक चलती रहती है और इन्हे पूरा करने के लिए हमारे मन में और जन्मों की आकांक्षा पैदा होती हैक्योंकि अधूरी इच्छा है तो उसे पूरा करने के लिए और जीवन चाहिए। इस प्रकार जीवन को पाने की यह इच्छा पुनर्जन्म का कारण बनी है और पुनर्जन्म दुखों का घर है। अतः पुनर्जन्म होता है जीवन की आकांक्षा से और जीवन की आकांक्षा होती है अधूरी इच्छा को तृप्त करने के लिए समय की मांग से।

अब यदि ठीक से समझें तो पुनर्जन्म का सूत्र या दुख का सूत्र ही यह अधूरी इच्छा हैतृष्णा है। परन्तु यदि हम पूर्ण सतगुरु की कृपा से भविष्य से मुक्त होने की कला सीख लेते हैं तो फिर हम समय से पार हो जाते हैं। यदि हमारे मन में कोई इच्छा अधूरी नहीं है तो हम सहज ही कह सकते हैं कि कल की हमें कोई आवश्यकता नहीं रहीफिर हम समय के पार हो जाते हैं समयातीत हो जाते हैं और समय के पार हो जाना आनन्द से जीवन बसर करने का सूत्र है।

ईसा मसीह ने किसी से पूछा कि आपके मोक्ष में सबसे महत्वपूर्ण बात क्या है तो उन्होंने कहा कि वहां समय नहीं होगा। अब समय नहीं होगाका अर्थ यही है कि वहां कोई इच्छा नहीं होगीजिसके लिए समय की कोई आवश्यकता पड़े जहां इच्छा नहीं होगी। वहां कल होगा ही नहीं तो फिर वहां पुनर्जन्म नहीं होगावहां केवल आज ही होगा। इस क्षण का कोई छोर नहीं होगा। शायद आज नहींबल्कि अभी ही होगा। बस यही क्षण होगाइस क्षण का कोई प्रारंभ नहीं होगामानो समय वहां नहीं होगा।

अब समय की आवश्यकता इसलिए है कि अधूरी इच्छा हैवासना हैइच्छा अथवा वासना को पूरा करने की दौड़ के लिए समय चाहिए क्योंकि इच्छा अथवा वासना दौड़ती है समय में। अब शरीर को दौड़ना है तो स्थान और समय दोनों की आवश्कयता पड़ेगी और यदि हमारे मन के लिए दौड़ना है तो उसके लिए स्थान की कोई आवश्यकता नहीं बस केवल समय ही काफी है। उदाहरण के तौर पर हम स्वप्न में भी दौड़ सकते हैं और स्वप्न के लिए कोई जगह नहीं होतीलेकिन समय होता है।

अब सब करते, सब पातेचलते दौड़ते इच्छाओं अथवा वासनाओं के पीछे हारेजीते भीतर कहीं भी ऐसा नहीं लगता कि शांति का क्षणविश्राम का एक पलआनन्द की एक छोटी- सी किरण भी अंकुरित होती हो अपितु सदैव ऐसा प्रतीत होता है कि कल मिलेगा आनन्दआज तो दुख ही है। यदि आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाय तो यह कल बहुत भयानक है।

ऐसा प्रतीत होता है कि यह केवल आज को भुलाने का उपाय मात्र हैक्योंकि आज इतने दुखों से भरा है कि कल की आशा में ही हम इसे भुला सकते हैं। अब मजे की बात यह है कि बीते कल में भी हमने ऐसा ही किया थाजिसे हम आज कह रहे हैं और आज भी यही कह रहे हैं और आने वाले कल में भी यही कहेंगे। वास्तविकता तो यह है कि जो व्यक्ति आज को कल पर टाल रहा है वह अगले जन्म की तैयारी कर रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *