भजन का फल तो मोक्ष है, ईश्वर का दर्शन है: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, पहले तो छोटे बच्चों को स्कूल भेजने के लिये लालच देना पड़ता है, टॉफी, बिस्कुट, पैसे। जब बच्चे के,जी, स्कूल पढ़ने जाते हैं तो पहले उनको टॉफियां देते हैं, पैसे भी देते हैं। बिस्कुट देते हैं और खिलौने भी वो जो चाहते हैं थोड़ा बहुत लाकर देते हैं। बच्चे खुश होते हैं ये समझकर कि स्कूल जाने का फल है टॉफी, बिस्कुट, खिलौने, और माता-पिता इसलिये खुश हो रहे हैं कि चलो, इसी बहाने कम-से-कम स्कूल जाने की आदत तो इनकी पड़ रही है। जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो फिर वो पैसे, टॉफी नहीं मांगते। वो जरा लेट हो जायें तो खाना छोड़कर भी भागते हैं। उनकी समझ में आ जाता है कि स्कूल जाने का फल टॉफी-बिस्कुट नहीं है, ज्ञान है। इसी तरह प्रारंभ में हम-आपको भजन में प्रलोभन दिया जाता है। भजन करो ये मिलेगा, लेकिन सत्संग करते-करते जब बोध हो जाये तो फिर ध्यान आ जायेगा, समझ में आ जायेगा, कि भजन का फल अर्थ और काम नहीं है। भजन का फल तो मोक्ष है। ईश्वर का दर्शन है। सबसे बड़ा फल ईश्वर का दर्शन। जीवन के लिये रोटी चाहिये, कपड़ा-मकान चाहिये, उसकी व्यवस्था परमात्मा अपने आप करते रहते हैं। खल मंडली बसहु दिन राती। सखा धरम निबहइ केहि भांती।। धर्म का निर्वाह बड़ा कठिन हो जाता है, जब हम गलत संगत में फंस जाते हैं। श्री विभीषण जी महाराज- खल मंडली बसहु दिन राती, दुष्टों के बीच में रह रहे थे। वो धैर्यशाली व्यक्ति है, जो दुष्टों के बीच में रहता हुआ भी अपनी साधना नहीं छोड़ता। कमल के पत्ते की विशेषता यही है कि वो पानी में डूबा रहकर भी गीला नहीं होता। जैसे समाज में गये हम वैसे ही बन गये, ये बहुत अच्छी बात नहीं है। जहां जाना जरूरी है जाओ, लेकिन वहां अपने को थोड़ा बचा कर रखो। अन्यथा भजन नहीं हो पायेगा। आप व्यवहार को प्रधानता दोगे तो भजन से चूक जाओगे। व्यवहार बने या बिगड़े हम अपना धर्म नहीं छोड़ेंगे, अपनी मर्यादायें नहीं छोड़ेंगे, फिर आपका जीवन महान बन जायेगा, और अगर कभी कुछ कुसंग में गलत हो जाये तो फिर भगवान् से रोककर प्रार्थना करो कि प्रभु! ये आज हमसे गलती हो गयी, अपराध क्षमा करो और ऐसी कृपा करो कि ऐसे लोगों का संग ही छूट जाये। जिनके संपर्क में रहने से, धर्म में, भजन में बाधा आती है, उनका संग छोड़ देना अच्छा है। श्री सूरदास जी महाराज अपने एक पद में कहते हैं- तजो रे मन हरि विमुखन को संग।जा के संग कुमति बहु उपजै, पड़े भजन में भंग। तजो रे मन हरि विमुखन को संग।। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा,(उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)

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