रायपुर। राजधानी रायपुर में आगलगी की घटना बढ़ती ही जा रही है। इसके आकड़ो की बात करे तो 16 माह में 1022 आगलगी की घटनाएं हुईं हैं। औसतन प्रति दिन दो आग लगती हैं, जिसमें करोड़ों रुपए का नुकसान हर वर्ष होता है। 14 अप्रैल को फायर डे से 20 अप्रैल तक फायर सप्ताह मना कर अपने शहीद हुए साथियों को नमन किया जाता है। बताया गया कि दमकल की टीम और एसडीआरएफ की टीम अपनी जान को जोखिम में डालकर लोगों की जान बचाते हैं।
जिले में 14 बड़ी आगलगी की घटनाएं 16 माह के भीतर हुई है जिसमें 3 दुकान जल कर खाक हुए। दो उद्योग और कैमिकल फैक्ट्री में हैवी फायर हुआ। 1008 सामान्य आगजनी की घटनाएं हुईं। जिसमें जनहानि नहीं हुई। वहीं, 303 ऐसे स्पेशल कॉल फायर टीम एसडीआरएफ की टीम को आया जिसमें पशुओं के साथ साथ लोंगों की जान टीम ने बचाई है।
आधुनिक उपकरण
अग्निशमन दल के प्रभारी दीपक कौशिक द्वारा बताया गया कि रायपुर के लिए 20 वाहन है। हाईड्रोलिक फ्लेटफार्म है। 12-12 हजार लीटर के फायर टेंडर है। फोम, फायरबॉल, केमिकल आग को कंट्रोल करने अलग से यंत्र है। तंग गलियों में जाने के लिए टू व्हीलर अग्निशमन गाड़ी है।
जबकि, कुछ प्रश्न भी हैं। प्रदेश के 168 ब्लॉक हैं लेकिन अधिकांश ब्लॉक में दमकल नहीं। कई जिले में एक दो ही दमकल है। प्रति वर्ष आगजनी से करोड़ो की धनहानि हो रही है। इस स्थिती में प्रश्न है कि आखिर इन जिलों पर सरकार की ओर से ध्यान क्यों नहीं दिया जा रहा। अग्निशमन विभाग के कुछ नियम भी हैं जो सभी को जानना चाहिए.
नियम
तीन लाख की आबादी में एक फायर स्टेशन का होना अनिवार्य है। आग लगने के 15 मिनट के बाद शहरी क्षेत्र में और 30 मिनट के भीतर ग्रामीण क्षेत्र में दमकल को पहुंचना अनिवार्य होता है। एक फायर स्टेशन में 3 दमकल और 50 कर्मचारियों की आवश्यकता होती है। आग चार तरह की होती है। ठोस वस्तुओं में लगी आग को पानी से, तरल में लगी आग को फोम से गैस में लगी आग को कार्बन डाइआक्साइड व मेटल फायर को डीपीसी डाई पावडर से कंट्रोल किया जाता है।