नई दिल्ली। कोरोना वायरस का नया स्वरुप ओमिक्रॉन जल्द भारतीय वैज्ञानिकों के कब्जे में आने वाला है। वैज्ञानिकों ने दो अलग-अलग मरीजों के सैंपल से जीवित वैरिएंट को पृथक करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके बाद ही चिकित्सीय अध्ययन शुरू हो सकेगा। महाराष्ट्र और हैदराबाद के दो मरीजों के सैंपल से वायरस को पृथक करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके बाद वैज्ञानिकों ने सीरियाई चूहों के दो समूहों पर अध्ययन की तैयारी की है। एक समूह के चूहों को कोवाक्सिन व कोविशील्ड वैक्सीन की खुराक भी दी है। अब वैज्ञानिक तीन तरह से ओमिक्रॉन का असर जानना चाहते हैं। पहला ओमिक्रॉन की गंभीरता पता चलेगी। दूसरा यह कि डेल्टा व ओमिक्रॉन के प्रभावों में क्या समानताएं हैं? तीसरी जानकारी मिलेगी कि वैक्सीन की दोनों खुराक लेने वालों में ओमिक्रॉन का क्या प्रभाव हो सकता है? हैदराबाद स्थित सीसीएमबी के एक वैज्ञानिक ने कहा कि आईसीएमआर और एनआईवी के साथ मिलकर अध्ययन किया जा रहा है। वैक्सीन लेने या फिर संक्रमित होने के बाद शरीर में एंटीबॉडी का स्तर डेल्टा वैरिएंट कम करता है, लेकिन ओमिक्रॉन को लेकर साक्ष्य काफी कम हैं, जिसकी पहचान इस अध्ययन में किया जा रहा है। नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने भी पुष्टि की है कि वैज्ञानिकों की एक टीम ओमिक्रॉन को पृथक करने में जुटी है। इसी सप्ताह के अंत तक इसमें कामयाबी मिल सकती है। एक वरिष्ठ अधिकारी का यहां तक कहना है कि वायरस पृथक करने में हमारे वैज्ञानिकों के पास अब पर्याप्त अनुभव है, जिससे इस बार भी कामयाबी मिलेगी।