जानलेवा रोगों का कारण है सेडेंटरी लाइफस्टाइल

हेल्‍थ। सेडेंटरी लाइफस्टाइल यानी कि निष्क्रिय जीवनशैली को हेल्‍थ एक्‍सपर्ट्स गंभीर रोग कारकों में से एक मानते हैं। लंबे समय तक बैठे रहने या अधिकतर समय लेटे रहने की आदत के अलावा दिनचर्या में व्यायाम की कमी के कारण जीवनशैली की निष्क्रियता और इसके कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। अध्ययनकर्ता इसे गंभीर हृदय रोग और कुछ स्थितियों में हार्ट अटैक-स्ट्रोक, डायबिटीज की जटिलताओं, मोटापा और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए प्रमुख कारक के तौर पर मानते हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ के मुताबिक, जिस तरह से लाइफस्टाइल में गड़बड़ी के कारण गंभीर बीमारियों का जोखिम बढ़ता जा रहा है, इसे देखते हुए सभी लोगों को शारीरिक सक्रियता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। दिनचर्या में योग-व्यायाम को अवश्‍य शामिल करें। सेडेंटरी लाइफस्टाइल का जोखिम बच्चों से लेकर युवाओं तक सभी के लिए हानिकारक है, इसके खतरे को लेकर सभी लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। तो आइए जानते हैं कि सेडेंटरी लाइफस्‍टाइल किस प्रकार से शरीर के अंगों के लिए समस्याकारक है और इससे बचाव के लिए क्या किया जाना चाहिए?

समय से पहले मृत्यु का खतरा :-
अगर आप लंबा जीवन जीना चाहते हैं तो शारीरिक निष्क्रियता को कम करने के लिए प्रयास बहुत जरूरी हैं। इसे समय से पहले मृत्यु के प्रमुख जोखिम कारक के तौर पर भी जाना जाता है। एक  अध्‍ययन के विश्लेषण में वैज्ञानिकों ने पाया कि गतिहीन जीवनशैली वाले लोगों की औसत आयु, नियमित योग-व्यायाम करने वालों की तुलना में कम होती है। गतिहीन जीवनशैली वालों में हार्ट अटैक का जोखिम अधिक देखा गया है जो समय से पहले मृत्यु का कारण बन सकती है।

मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव :-
सेडेंटरी लाइफस्‍टाइल का मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। 10,381 प्रतिभागियों पर किए गए एक अध्‍ययन में पाया गया कि सेडेंटरी लाइफस्‍टाइल वाले लोगों में समय के साथ अवसाद की समस्या विकसित होने का खतरा अधिक हो सकता है। इसके अलावा वैज्ञानिकों ने पाया कि शारीरिक सक्रियता कम होने से खुशी बढ़ाने वाले हार्मोन्स का स्राव भी कम हो जाता है, जिसके कारण आपका मूड प्रभावित रहता है।

शरीर को रखें फिट और एक्टिव :-
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि सभी लोगों के लिए नियमित रूप से व्यायाम-योग करने की आवश्यकता है। शोध से पता चला है कि व्यायाम और खेल सहित अन्य शारीरिक गतिविधियों को दिनचर्या का हिस्सा बनाने से हृदय रोग, टाइप-2 डायबिटीज, मोटापा और समय से पहले मृत्यु के जोखिम को कम किया जा सकता है। सभी वयस्कों को सप्ताह में कम से कम 150 मिनट के व्यायाम अवश्‍य करना चाहिए।

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