पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्री गणेश जी की प्रथम पूजा यह सिद्ध करती है कि- श्री गणेश जी सबसे बड़े देवता हैं। मान लिया जाये, आपके यहां जगतगुरु श्री रामानंदाचार्य भगवान दस संतो के साथ पधारें तो आप प्रथम माला किसे पहनायेंगे? श्री श्री जगद्गुरु जी को, प्रथम तिलक किसे करेंगे? श्री जगत गुरु जी को, क्यों? क्योंकि सभी संतो में श्री जगद्गुरु जी सबसे श्रेष्ठ है। जो श्रेष्ठ होता है, जो विशेष होता है उसकी पूजा पहले हुआ करती है। समग्र देवताओं ने मिलकर भगवान गणेश को सर्वाध्यक्ष पद दिया है। राजा वरेण्य हुए, वो श्री गणेश जी के परम भक्त थे। श्रीमद्गणेशमहापुराण में श्रीमद् गणेश गीता का वर्णन है। राजा वरेण्य को उपदेश देते हुए श्री गणेश जी ने कहा है, मैं ही ब्रह्मा बनकर सृष्टि उत्पादक हूं और मैं ही विष्णु वन करके संसार का पालन करता हूं तथा रुद्र शंकर के रूप में मैं ही संहार किया करता हूं। सूर्य और चांद बनकर के मैं ही प्रकाश और शीतलता दे रहा हूं। ये पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु , आकाश मै ही बना हुआ हूं। मेरी आश्रित रहकर ही देवता सारा कार्य करते हैं। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा,(उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)