‘हंस’ पैराशूट का सफल परीक्षण, 30 हजार फीट की ऊंचाई से दुश्मन के इलाकों में उतरेंगे पैरा कमांडो

आगरा। आगरा में 30 हजार फीट की ऊंचाई से विमान से छलांग लगाकर पैरा कमांडो दुश्मन के इलाकों में न केवल खुद उतर पाएंगे, बल्कि 200 किलो पेलोड वजन के उपकरणों को भी उतार सकेंगे। रक्षा संगठन एडीआरडीई आगरा ने बुधवार को पहली बार विकसित किए गए कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम हंस (हाई एल्टीटयूड पैराशूट विद नेविगेशन एंड एडवांस सब-असेंबलीज) की लाइव छलांग का मलपुरा ड्रापिंग जोन में प्रदर्शन किया।

एडीआरडीई के चीफ टेस्ट जंपर विंग कमांडर विशाल लाखेश ने 10 हजार फीट की ऊंचाई से हंस पैराशूट सिस्टम से छलांग लगाई। फ्री फॉल के लिए मौजूदा सभी पैराशूट प्रणालियों की जगह अब हंस का इस्तेमाल किया जाएगा। भारतीय सशस्त्र बलों की आवश्‍यकताओं को देखते हुए पैराशूट प्रणाली बनाने वाले रक्षा संगठन एडीआरडीई ने पूरी तरह से स्वदेश में विकसित सैन्य लड़ाकू पैराशूट प्रणाली हंस को विकसित किया है।

यह पैरा कमांडो को 30 हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगाने के लिए सक्षम बनाता है। इसमें सभी जरूरी सिस्टम, हल्के वजन वाले बैलिस्टिक हेलमेट, कॉम्बैट जंप सूट, जूते, आक्सीजन प्रणाली और उपग्रह आधारित नेविगेशन और गाइडेंस सिस्टम शामिल है। इसमें पेलोड ले जाने की क्षमता 200 किलो तक है। इस पैराशूट में अत्याधुनिक कपड़े का उपयोग किया गया है जो स्वदेशी है और बेहद हल्का है। सॉफ्ट लैडिंग के साथ इसमें हवा के दबाव को काटने की विशेष क्षमता है।

पैरा कमांडो की क्षमताएं बढ़ाएगा हंस

एडीआरडीई के चीफ टेस्ट जंपर विंग कमांडर विशाल लाखेश ने बुधवार दोपहर जब 10 हजार फुट की ऊंचाई से विमान से छलांग लगाई तो उनके हाथों में तिरंगा और उस पर आत्मनिर्भर भारत का लोगो लगा हुआ था। वह जब मलपुरा ड्रापिंग जोन में तय जगह पर उतरे तो एडीआरडीई वैज्ञानिकों और सेना से जुड़े अधिकारियों ने जोरदार ढंग से तालियां बजाकर उनका स्वागत किया। एडीआरडीई अधिकारियों के अनुसार स्वदेशी डिजाइन, सिमुलेशन पद्वति के कारण यह कमांडो की क्षमता बढाएगा। अभी तक फ्री फॉल के लिए जितने पैराशूट सिस्टम का उपयोग होता है, हंस उनकी जगह लेगा और सैनिकों को 30 हजार फीट ऊंचाई से सही जगह उतरने में सक्षम बनाएगा।

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