नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में 2009 की एक आवासीय परियोजना के संबंध में कुछ लोगों द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट के आदेश के कारण योजना में कथित अनियमितताओं के लिए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने न्यायिक रिकॉर्ड और इस तथ्य पर ध्यान दिया कि गरीबों के लिए 1200 से अधिक आवास इकाइयों में से, नालदुर्ग नगरपालिका के विभिन्न इलाकों में 302 आवास इकाइयों का निर्माण किया गया था और जिनमें से 202 का उपयोग किया जा सकता था और 100 अनुपयोगी और जीर्ण-शीर्ण स्थिति में थे।