नई दिल्ली। बाहुबली और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के विरोध में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने बिहार सरकार और पूर्व सांसद आनंद मोहन को नोटिस की है। कोर्ट ने इस मामले में 2 हफ्ते में जवाब देने का निर्देश दिया है। साथ ही बिहार सरकार को रिहाई से जुड़े रिकॉर्ड देने को भी कहा है। बता दें कि जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच में इस मामले में सुनवाई की।
मालूम हो कि आनंद मोहन के खिलाफ कोर्ट में दिवंगत जी कृष्णैय्या की पत्नी उमा देवी ने याचिका दायर की है। उमा देवी ने आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बिहार सरकार द्वारा कानून में किए गए संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। 3 मई को उमा कृष्णैय्या ने कहा कि मुझे न्यायपालिका पर भरोसा है। वह अवश्य इस केस में न्याय करेंगे। उनका कहना है कि जब आनंद मोहन को आजीवन कारावास की सजा हुई तो उनकी रिहाई 15 वर्ष में कैसे हो गई। सुप्रीम कोर्ट से अपील है कि वह मामले पर गंभीरता से विचार करे।
IAS अफसरों के मनोबल पर काफी असर पड़ा
उमा कृष्णैय्या ने याचिका दायर करने के सवाल पर कहा कि हमने व्यक्तिगत रूप से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर नहीं की है बल्कि IAS अफसरों ने की है। मैं यह लड़ाई नहीं लड़ रही, क्योंकि हमें सपोर्ट करने वाला कोई नहीं है। उमा कृष्णैय्या ने स्पष्ट कहा कि मुझे नीतीश सरकार से कुछ नहीं चाहिए। सरकार आनंद मोहन की रिहाई पर फिर से विचार करे। इस फैसले से IAS अफसरों के मनोबल पर काफी असर पड़ा है।
मालूम हो कि बिहार सरकार ने 10 अप्रैल को बिहार जेल मैनुअल 2012 में बदलाव किया था। जिसके तहत सरकारी कर्मचारी की ड्यूटी के दौरान हत्या के मामले में जेल से रिहाई का प्रावधान कर दिया गया, जिस पर पहले रोक थी। इस बदलाव के बाद आनंद मोहन की जेल से रिहाई का रास्ता साफ हो गया था। इसके बाद 27 अप्रैल को आनंद मोहन को सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया। आनंद मोहन की रिहाई पर विपक्षी पार्टियों ने विरोध भी जताया।