रिलेशनशिप। स्टूडेंट और टीचर का रिश्ता बहुत खास होता है। माता-पिता के बाद टीचर को ही बच्चों का दूसरा गुरु माना जाता है। शिक्षक भी बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं, लेकिन कई बार स्टूडेंट और टीचर का रिलेशनशिप ज्यादा स्ट्रांग नहीं होता है। ऐसे में शिक्षक अगर चाहें तो कुछ शानदार रिलेशनशिप टिप्स को फॉलो करके स्कूल में रहते ही नहीं, बल्कि बाद में भी बच्चे से ताउम्र बॉन्डिंग बना सकते है।
स्कूल में बेस्ट परफॉर्मेंस देने के बाद जहां शिक्षक बच्चों की सराहना करते हैं तो वहीं गलती करने पर बच्चों को डांट लगाने से भी नहीं चूकते हैं। ऐसे में ज्यादातर बच्चों के साथ शिक्षक का रिश्ता बेहतर नहीं बन पाता है। तो आइए हम आपको बताते हैं कुछ आसान रिलेशनशिप टिप्स के बारे में, जिसकी सहायता से आप स्टूडेंट्स के साथ क्लोज बॉन्डिंग बना सकते हैं।
नाम याद करें
ज्यादातर टीचर्स को क्लास के सारे बच्चों के नाम नहीं याद होते हैं। ऐसे में शिक्षक उन बच्चों पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं इसलिए बच्चों को उनके नाम से बुलाने की कोशिश करें, जिससे बच्चे खुद को स्पेशल फील करेंगे और धीरे-धीरे आपके क्लोज आने लगेंगे।
हर बात पर ना डांटे
कुछ शिक्षकों का स्वभाव काफी गुस्सैल होता है। ऐसे में टीचर्स बात-बात पर बच्चों को डांटना शुरु कर देते हैं। जिससे बच्चे आपसे दूर रहना ही पसंद करते हैं। इसलिए बच्चों से गलती होने पर उन्हें प्यार से समझाने की कोशिश करें। साथ ही उन्हें गलती से सीख लेने की नसीहत दें।
बच्चों से दोस्ती करें
अध्यापक का बच्चों के साथ सख्ती से पेश आना बहूत जरूरी होता है। लेकिन बच्चों से क्लोज बॉन्डिंग बनाने के लिए आपको उनका दोस्त बनना पड़ता है। ऐसे में बच्चे आपसे बिना डरे अपने मन की बात शेयर कर सकेंगे। साथ ही आप भी बच्चों को सही तरह से गाइड कर पाएंगे।
हुनर को निखारें
पैरेंट्स के बाद बच्चे सबसे ज्यादा समय स्कूल में ही बिताते हैं। वहीं हर बच्चा किसी ना किसी क्षेत्र में टैलेंटेड होता है। ऐसे में बच्चे के हुनर को पहचान कर आप उसे निखारने में मदद कर सकते हैं। वहीं स्कूल फंक्शन्स में भाग लेने के लिए बच्चों को प्रेरित करके आप उनके टैलेंट को बूस्ट कर सकते हैं।
बच्चों की करें प्रशंसा
बच्चों के गलती करने पर टीचर उन्हें तुरंत क्रिटिसाइज करते हैं। लेकिन वहीं बच्चों की प्रशंसा करके आप उनके आत्मविश्वास को बल दे सकते हैं। ऐसे में अच्छा परफॉर्म करने पर बच्चों की सराहना करें। जिससे बच्चे क्लास में अव्वल आने पर जोर देंगे और सही सलाह मांगने के लिए हमेशा आपके पास ही आएंगे।