यात्रा। राजस्थान की संस्कृति बहुत ही रंगबिरंगी और खूबसूरत है। यहां देखने और घूमने के लिए कई जगहें हैं लेकिन इनमें सबसे अनूठी और अद्भुत जगह है ‘सम’ यानी जैसलमेर के करीब का वह इलाका जहाँ दूर दूर तक रेगिस्तान बाहें पसार कर आपके लिए ‘पधारो म्हारे देस’ गाता है। ऐसी रेत जो जितनी जल्दी आपसे नाता जोड़ती है, उतनी ही आसानी से आपसे अलग भी हो जाती है। जैसे कह रही हो, भौतिकता का मोह छोड़ कर प्रकृति से नाता जोड़ो, उसी में सुख है। यह आश्चर्य है कि यह रेत कपड़ों पर चिपकती नहीं। इस रेत का अपना अलग अंदाज है जो आपको राजस्थान के इस रूखे-सूखे इलाके के प्रेम में डाल देता है। यहां आप राजस्थान की रंगीली लोककथाओं से भी रूबरू होते हैं और सीमा पर डटे सिपाहियों की वीरता के किस्सों से भी। तो चलिए जैसलमेर के इस अनूठे रेगिस्तानी इलाके के बारे में विस्तार से जानते है।
हवेलियों से गुलजार गलियां :-
पूरे राजस्थान में ऐतिहासिक तौर पर कई सारे स्थान हैं जो रोमांच जगाते हैं। इनमें ही शामिल है जैसलमेर। हवेलियों के भरे इस शहर को गोल्डन सिटी के नाम से भी जाना जाता है। यह नाम इस शहर में बने पीले रंग के पत्थरों से बनी हवेलियों व अन्य निर्माणों के लिए दिया गया है। शहर की गलियों से गुजरते हुए कई छोटी-बड़ी हवेलियां आपके स्वागत के लिए मुस्कुराती मिलेंगी। अंदर जाने पर खूबसूरत नक्काशी से सजे झरोखे और ऊँची खुली छत से झांकता आसमान आपका मन मोह लेगा। इन हवेलियों के बाहर और रास्ते में भी आपको राजस्थानी लोक कलाओं से सजी कई छोटी-छोटी दुकानें मिलेंगी जहाँ से आप कठपुतली से लेकर दुपट्टे, स्टोल या कोई आर्ट पीस आदि खरीद सकते हैं। यहां का म्यूजियम कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों का साक्षी है। यदि आप इतिहास में रूचि रखते हैं तो यह आपके लिए शानदार ट्रीट होगी।
रेत के टीलों तक सफर :-
जैसलमेर से सम सैंड ड्यून्स यानी रेतीले टीलों तक का सफर करीब 40-45 किलोमीटर का है। अगर आप चाहें तो जैसलमेर में रुक कर सम जाकर वापस अपने ठिकाने पर आ सकते हैं या फिर सम में ही कैम्प नाइट और रुकने की सुविधा का ऑप्शन चुन सकते हैं। यदि आप जैसलमेर में रुकना चाहते हैं तो भी आपको सम तक पहुंचने के लिए जीप, टैक्सी या टू व्हीलर किराए से लेनी होगी। रेगिस्तान के टूर के लिए भी ऊँट या जीप की सवारी का विकल्प होता है। यदि आप सम में ही कैम्प या टेंट वाली सुविधा के साथ रुके हैं तो यहाँ पर पैकेज के अंतर्गत जीप और ऊँट की सवारी फ्री भी मिल सकती है। इसके अलावा अलग अलग पैकेज के हिसाब से रुकने, ब्रेकफास्ट, लंच व डिनर तथा कल्चरल एक्टिविटीज जैसी सुविधाएँ मिल सकती हैं।
सफर है आसान :-
राजस्थान के जैसलमेर तक पहुंचने के लिए भी हवाई जहाज, ट्रेन, बस या टैक्सी आदि किसी भी साधन को चुना जा सकता है। यदि आप कोई टूर पैकेज चुनते हैं तो वे आपको यात्रा से लेकर ठहरने व साइट सीइंग, सम की यात्रा तक के लिए ऑफर दे सकते हैं। आमतौर पर इनका किराया ढाई हजार से 5 हजार रूपये तक हो सकता है। यह दी जा रही सुविधाओं और टेंट के प्रकार पर निर्भर करता है। चाहें तो यहां आकर अलग से भी कैमल राइड और अन्य सुविधाएँ ले सकते हैं। चूंकि इस इलाके में पर्यटकों की अक्सर भरमार रहती है इसलिए होटल, लॉज आदि काफी संख्या में हैं, लेकिन प्री बुकिंग आवश्यक है ताकि दिक्कत न हो। ठहरने के अलावा खान-पान की भी सुविधाएँ अच्छी हैं क्योंकि राजस्थान वैसे भी अपने तीखे-चटपटे स्वाद के लिए जाना जाता है।
फरवरी का महीना है शानदार :-
गर्मी के दिनों में तो रेगिस्तान में जाने के बारे में कोई सोच ही नहीं सकता। यहाँ आने के लिए अक्टूबर से फरवरी तक का समय सबसे अच्छा है लेकिन फरवरी और मार्च में होली तक का समय भी अच्छा है। इस समय यहाँ त्यौहार की रौनक भी देखी जा सकती है। साथ ही आप राजस्थानी संस्कृति को और करीब से समझ सकते हैं। मार्च के शुरुआती हफ्ते के बाद गर्मी बढ़ने लगती है, इसलिए इसके बाद यहाँ घूमने में दिक्कत हो सकती है। सम के अलावा जैसलमेर में खूबसूरत किले, हवेलियों, मंदिरों आदि का भ्रमण भी किया जा सकता है। ऊँट पर सवारी करते समय ही टूर गाइड आपको उस सीमा के नजारे दिखाएंगे जो भारत-पाकिस्तान के बीच स्थित है। यहाँ खड़े रहकर ही एक अलग से जोश का एहसास होता है और सीमा की रखवाली कर रहे अपने वीर सैनिकों के लिए मन में सम्मान और बढ़ जाता है।