अनात्म पदार्थों के प्रति जिसकी आत्म बुद्धि है वही है मूर्ख: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, पंडित कौन है? धर्मशास्त्र कहते हैं कि-‘ पण्डितो बन्धमोक्षवित् ।।’अर्थात् जो सत्य असत्य को जानता हो। सत्य और असत्य में अंतर करने वाली विवेक शक्ति का नाम ‘ पंडा ‘ बुद्धि है। जिस व्यक्ति में ‘ पंडा ‘ बुद्धि है वही पंडित है, पंडित बंधन और मोक्ष का ज्ञाता होता है। वह जानता है कि किस क्रिया से बंधन और किस क्रिया से मोक्ष होता है। केवल ब्राह्मण के घर जन्म लेने वाला पंडित नहीं है। मूर्ख कौन है? धर्मशास्त्र कहते हैं कि-देह में अहम् बुद्धि रखने वाला सबसे बड़ा मूर्ख है। ‘मूर्खो देहाद्यहंबुद्धि।’ व्यावहारिक जगत में बिना पढ़े लिखे को मूर्ख कहा जाता है। परंतु धर्मशास्त्र के अनुसार चाहे कोई कितना विद्वान हो, यदि आत्म बुद्धि नहीं रखता तो मूर्ख है। ज्ञान यही है कि देह मेरा है, मैं देह नहीं। मकान मेरा है, मैं मकान नहीं। पत्नी या पति मेरे हैं, मैं पति या पत्नी नहीं। पुत्र या पुत्री मेरे हैं, मैं पुत्र या पुत्री नहीं। मैं तो विशुद्ध आत्मा हूं। अनात्म पदार्थों के प्रति जिसकी आत्म बुद्धि है वही मूर्ख है। इसीलिए अष्टावक्र जी ने जनक के विद्वान दरबारियों को मूर्ख और चमड़े की पहचान करने वाला बताया था। जनक जी के पूछने पर उन्होंने कहा था जिस व्यक्ति की देह में दृष्टि है भले ही वह विद्वान हो, वह मूर्ख है। जो चमड़े को परखने वाले हों  वे चमड़े के पारखी अर्थात् उसके ही ज्ञाता हैं। यदि वे विद्वान थे तो मेरे चेतन स्वरूप को देखते। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम,
श्री गोवर्धन धाम कालोनी,  दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)

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