पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, तब लगि कुशल न जीव कहुँ, सपनेहुँ मन विश्राम। जब लगि भजत न राम कहुँ शोक धाम तजि काम।। काम शब्द का अर्थ हैं कामना। कामना पर अगर आप कंट्रोल कर सकते हो तो आपके जीवन में कभी तनाव नहीं रह सकता। पर हम जब दूसरों को देखते हैं अपने से बढ़िया तो मन मांगने लगता है। जब मन की मांग पूरी नहीं होती तो तनाव होता है और परेशान होता है। हरिद्वार में एक संत हैं बहुत बड़े विद्वान, बहुत बड़े तपस्वी लेकिन उनको ये पता नहीं कि सौ और पचास का नोट कैसा होता है? कौन आ रहा है, कौन जा रहा है, उनको कुछ मतलब नहीं। अपने भजन में चिंतन में डूबे हुए। भोजपत्र की झोपड़ी बनवाकर रहने का विचार किया। श्री गंगा तट पर झोपड़ी भोजपत्र की बना दो या घास फूस की बना दो और एक समय भिक्षा दे दो चौबीस घंटे में। रोटी और कोपीन। और उनको कुछ नहीं चाहिए, और जो लोग उनके पास बैठते हैं ,स्वामी जी क्या हाल है आपका? तो वो कहते हैं, मौज है मौज। जब वो बड़े-बड़े धनवानों से पूछते हैं क्या हाल है भगत जी? बड़े परेशान हैं महाराज जी। कोई उपाय बताओ। अब इतनी बड़ी कोठियां, कार, मकान, दुकान, और है बड़े परेशान! और वो रोटी कोपीन वाले कह रहे हैं मौज है, महाराज मौज! क्या मतलब है? संपत्ति शांति नहीं देगी। जब आपकी आवश्यकताएं कम हो जायेंगी, जब इंद्रियों पर संयम होगा तब शांति का उदय होगा। पैसे से शांति खरीदी नहीं जा सकती। पैसे से ज्यादा भोगों की इच्छा होगी और ज्यादा भोग जब नहीं मिलेंगे तो और परेशानी होगी। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।