बच्चों को कॉन्फिडेंट बनाती है पैरेंट्स की ये अच्छी आदतें

पैरेंटिंग। बच्चों के लिए सबसे सच्चा और अच्छा होता है मां-बाप का प्‍यार। सभी पैरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चे कामयाब हों और उनका नाम रोशन करें। इसमें उनके माता पिता का सबसे अहम रोल होता है। कई बार पैरेंट्स बच्चों की बात सुने बिना ही उन्हें डांटने लगते हैं, लेकिन ऐसा करना गलत होता है। बेहतर है कि उनकी बात को सुनें, इसके बाद उन्हें समझाने की कोशिश करें। ऐसा करने से आपके बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ेगा। साथ ही वे बेहतर भविष्य के साथ आगे बढ़ते जाएंगे। तो आइए जानते हैं बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाने के किन तरीको को अपनाएं।

बच्चों को सुनें

पैरेंट्स कई बार बच्चों की बात सुने बगैर ही उन्हें दोषी मान लेते हैं। ऐसा करने से बच्चों में बूरा प्रभाव पड़ता है। जब माता पिता अपने बच्चों के विचार को ठीक से सुनते हैं तो उन्हें अपने आप में अच्छा महसूस होता है। इससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है। ऐसे में पढ़ाई से लेकर उन्हें क्या चाहिए। हर बात में बच्चों की भी सुनें और उन पर ज्यादा सख्ती न बरतें।

भावनाओं को समझें

पैरेंट्स को बच्चों में कॉन्फिडेंस बढ़ाने में कोई कमी नहीं करनी चाहिए। अगर आपका लाडला आपके सामने अपनी भावनाएं जताता है तो उन्हें अच्छे से समझने की कोशिश करें। ऐसे में उनका रोना, गुस्सा होना, हंसना हर जज्बात की कदर करें, जिससे वह स्पेशल महसूस कर सकें। ऐसा करने से बच्चों का आत्‍मविश्‍वास बढ़ता है और आपका बच्‍चा पॉजिटिव रहता है।

तारीफ करना ना भूलें

बच्चों से जाने अंजाने में कुछ ऐसा हो जाता है, जिस पर पैरेंट्स को बहुत गुस्सा आ जाती है। इस स्थिति में खुद पर कंट्रोल करना चाहिए। यदि आपका बच्चा कुछ अच्छा करे तो उनका मनोबल बढ़ाना कभी नहीं भूलना चाहिए। क्योंकि बच्चों को स्वयं की तारीफ सुनना बहुत पसंद होती है। ऐसा करने से उनका मनोबल बढ़ता है और वह ज्यादा एक्टिव रहते हैं।

जताएं प्यार

बच्चों का पैरेंट्स का सॉफ्ट नेचर बहुत पसंद होता है। ऐसे में बच्चे के सामने कुछ ऐसा करने से बचना चाहिए, जिससे बच्चों पर गलत प्रभाव पड़ता हो। यदि पैरेंट्स अपने बच्चों को ‘लव यू’ कहते हैं या प्यार जताते हैं, तो बच्चों का आपके प्रति अधिक लगाव बढ़ता है। ऐसा करने से बच्चों में खुशी का अनुभव होता है। वे ज्यादा एक्टिव और होशियार बनते हैं।

दोस्ती के मायने सिखाएं

बच्चों को दोस्ती का महत्व सिखाने में पैरेंट्स का बड़ा रोल होता है। हालांकि दोस्त बनाना बच्चे की भावनात्मक स्किल, सोशल कनेक्शन पर निर्भर करता है। लेकिन आपका सहयोग मिलने से उन्हें खुशी महसूस होती है। अच्छे दोस्तों की कंपनी में बच्चा सहयोग, टीम वर्क, कुशलता और सामाजिकता सीखता है, जिसकी वजह से वह खुश भी रहता है।

परिवार के साथ करें भोजन

माता- पिता बच्चों से भावनात्मक जुड़ाव तो रखें ही, साथ ही उनके सही-गलत कार्यों पर भी नजर रखें। ऐसा करने से बच्चा नकारात्मक प्रभाव से बचा रहेगा। इसके साथ ही कोशिश करें कि दिन में कम से कम एक समय ऐसा अवश्‍य निकालें, जिसमें पूरा परिवार साथ बैठकर खाना खाए। इससे बच्चे की ब्रांडिंग पैरेंट्स के साथ मजबूत होती है और इमोशनली भी जुड़ाव बढ़ता है।

 

 

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