नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के नवनिर्वाचित पीएम शाहबाज शरीफ को बधांई दी है। शुभकामना के साथ ही उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि भारत से उनके रिश्ते तभी बेहतर होंगे जब वह आतंकवाद को प्रश्रय देना छोड़ देगा। भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ अपने रिश्तो को हमेशा से सुधारने का इच्छुक रहा है लेकिन इसके लिए यह जरूरी है कि आतंकवाद की घटनाओं को बंद किया जाए।
भारत की इच्छा है कि कश्मीर के साथ ही सीमावर्ती सभी क्षेत्र आतंक मुक्त, शांति और स्थिर बने। आतंक और दोस्ती का नाटक एक साथ नहीं चल सकता। जिससे सभी लोग विकास की चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित कर सकें। अपनी जनता की भलाई को सुनिश्चित कर सकें। लोगों की सफलता पर ध्यान दे सकें। भारत की ओर से शरीफ को यह साफ साफ कह दिया गया है कि वह इन मामलों में किसी भी प्रकार का समझौता नहीं कर सकता।
उधर शाहबाज शरीफ का जो रवैया है उसको देखने के बाद ऐसा नहीं लगता कि वह आतंकवाद को समाप्त कराने के लिए किसी भी प्रकार का प्रभावशाली कदम उठा पाएंगे। पद संभालने के बाद उन्होंने नेशनल असेंबली में जो भाषण दिया है उससे साफ है कि उन्होंने कश्मीर के मुद्दे को खूब बढ़ा चढ़ाकर और हवा देने की भी कोशिश की। कहा कि वह हर रंग मंच पर कश्मीर का मुद्दा उठाएंगे। हालांकि उन्होंने बताया कि जब-जब उनकी पार्टी सत्ता में आई है तब -तब भारत के साथ उनके रिश्ते बहुत बेहतर हुए हैं।
शाहबाज शरीफ को अभी करीब डेढ़ साल तक पाकिस्तान पर शासन करना है और इसके उनके सामने अभी बड़ी-बड़ी चुनौतियां हैं। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बेहद खराब स्थिति में है। कर्ज बहुत बढ़ा हुआ है। चीन को वह अपना पक्का दोस्त मानते हैं लेकिन उन्हें इस बात का ज्ञान नहीं है कि उसके जैसा कोई अविश्वासी देश पूरे विश्व में नहीं है।
पाकिस्तान को यह वास्तविकता समझनी होगी नहीं तो एक दिन वहां चीन का वर्चस्व कायम हो जाएगा। अभी पड़ोसी देश श्रीलंका चीन की इसी कुटिलता को झेल रहा है। मतलब यह है कि चीन पर भरोसा करना पाकिस्तान के लिए हर हाल में घातक होगा। आगे पाकिस्तान भारत के साथ रिश्ते को कैसे चलाता है यह देखने वाली बात होगी।