नई दिल्ली। इधर कुछ साल में सड़कों के निर्माण में बहुत तेजी आई है। हर क्षेत्र में सड़कों का विस्तार हुआ है। यह क्रम जारी है और आने वाले कुछ वर्षों में पूरे देश में सड़कों की बड़ी- बड़ी परियोजनाएं पूरी होंगी। इससे सड़क परिवहन और भी सुगम हो जाएगा। लेकिन चिन्ता की एक बात यह भी है कि सड़क दुर्घटनाओं में कमी नहीं आ रही है।
केन्द्रीय सड़क और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि देश में हर साल पांच लाख से अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और डेढ़ लाख से अधिक लोगों की हर साल मौत भी होती है और काफी संख्या में लोग घायल भी होते हैं। मुम्बई में रविवार को सिविल इंजीनियरों के राष्ट्रीय सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए उन्होंने जो आंकड़े बताएं वह सलाहकारों से तैयार की गई वह विस्तृत परियोजना रिपोर्ट पर आधारित है।
लेकिन मृतकों का आंकड़ा इससे भी अधिक हो सकता है, क्योंकि अनेक दुर्घटनाओं की रिपोर्ट इसमें शामिल नहीं हो पाती होंगी। जो उपलब्ध आंकड़े हैं वह काफी चिन्ताजनक है। इन दुर्घटनाओं के अनेक कारण हैं। इनमें सड़क की दशा भी शामिल है। सड़कों का बड़े पैमाने पर निर्माण होना अच्छी बात है लेकिन कुछ ही समय के बाद सड़कों का क्षतिग्रस्त होना
उसकी गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न लगाता है। वर्षा या बाढ़ से सड़कों में गढ्ढे होना आम बात है। ऐसी स्थिति में सड़कों को गुणवत्ता की कसौटी पर भी खरा उतरना होगा। सड़क दुर्घटना में वाहनों की दशा और चालक भी जिम्मेदार होते हैं। मानवीय गलतियों से भी दुर्घटनाएं होती हैं। इसलिए उन सभी पहलुओं पर विचार करने की जरूरत है जिनके कारण दुर्घटनाएं होती हैं।
उस पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। एक्सप्रेस- वे जैसे सड़कों पर भी दुर्घटनाएं होती हैं। सड़कों पर ब्लाइण्ड स्पाट (सड़क पर जानलेवा स्थल) में सुधार करने की आवश्यकता है। वाहन स्वामियों और चालकों का गुरुतर दायित्व है कि वह सतर्कता और सावधानी बरतें, जिससे कि जानलेवा दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। सुरक्षित सड़क यात्रा से जुड़े सभी लोगों को सावधानी बरतनी होगी तभी मृतकों और घायलों के आंकड़ों को कम किया जा सकता है।