योग। योगासनों के अभ्यास की आदत संपूर्ण शरीर को स्वस्थ और फिट बनाए रखने में सहायक है। अध्ययनों में इसके शारीरिक और मानसिक कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ देखे गए हैं। विशेषज्ञ हर किसी को दिनचर्या में कम से कम 20 मिनट का समय योगासनों के लिए जरूर निकालने की सलाह देते हैं।
योग के अभ्यास से शरीर के लगभग सभी अंगों का कार्य बेहतर तरीके से चलता रहता है, कई गंभीर और क्रोनिक बीमारियों में भी योग के अभ्यास को विशेषज्ञ काफी लाभकारी मानते हैं। योग विशेषज्ञ कुछ आसनों को शरीर के लिए बेहद फायदेमंद मानते हैं।
शीर्षासन को ‘किंग्स ऑफ ऑल योग’ के रूप में भी जाना जाता है।
इसके अभ्यास की आदत बनाना शरीर में रक्त परिसंचरण को सुधारने और सिर से लेकर पैरों तक के संपूर्ण अभ्यास के लिए फायदेमंद हो सकता है। तनाव-चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं को दूर करने के साथ पेट के अंगों को स्वस्थ रखने और कंधों की मजबूती देने में भी इस अभ्यास के लाभ देखे गए हैं। आइए जानते हैं इसका अभ्यास कैसे किया जाता है और इसके क्या लाभ हैं?
शीर्षासन योग कैसे किया जाता है?
शीर्षासन योग का अभ्यास थोड़ा कठिन है इसलिए इसमें विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है। शीर्षासन योग का अभ्यास किसी विशेषज्ञ की निगरानी में किया जाना चाहिए। इसमें होने वाली जरा सी भी चूक के कारण चोट लगने का जोखिम हो सकता है।
इस योग को करने के लिए शांत मुद्रा में बैठ जाएं और आगे की ओर झुककर दोनों हाथों की कोहनियों को जमीन पर टिका दें। अब शरीर का बैलेंस बनाते हुए सिर के सहारे उल्टे खड़े होने की कोशिश करें। कुछ समय तक इसी अवस्था में रहे और फिर वापस शुरुआती स्थिति में आएं। इसमें शरीर के संतुलन को ठीक रखने पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता होती है।
शीर्षासन योग से लाभ:-
- तनाव को कम करने और एकाग्रता बढ़ाने में।
- यह आंखों में रक्त के प्रवाह में सुधार करता है, जिससे रोशनी बेहतर बनी रहती है।
- बाहों, कंधों और कोर की मांसपेशियों को ताकत देता है।
- सिर और खोपड़ी में रक्त परिसंचरण में सुधार करता है।
- पाचन में सुधार करने वाला योगाभ्यास है।
- पैरों, टखनों और घुटनों में द्रव निर्माण को कम करता है, जिससे गठिया की समस्या काजोखिम कम होता है।
- यह अंतःस्रावी ग्रंथियों, मुख्यरूप से पिट्यूटरी और पीनियल ग्रंथियों के लिए काफी फायदेमंद अभ्यास है।
शीर्षासन योग के दौरान सावधानियां:-
गर्दन में चोट या सिरदर्द होने पर इस आसन को करने से बचना चाहिए। मासिक धर्म, हाई बी.पी, हृदय की समस्याओं, मस्तिष्क की चोट, ग्लूकोमा, हार्निया जैसी समस्याओं में भी इस योग को न करने की सलाह दी जाती है। इस योगासन के लिए विशेष एकाग्रता और सतर्कता की जरूरत होती है।