ये योगासन पैरो की मांसपेशियों को बनाता है स्ट्रांग

योग। संपूर्ण शरीर को स्‍वस्‍थ रखने के लिए योग के नियमित अभ्यास को लाभकारी माना जाता है। योग से न सिर्फ मन को शांति मिलती है, बल्कि  इससे मांसपेशियों के निर्माण और उनकी शक्ति को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। नियमित रूप से योग करने से शारीरिक सक्रियता बढ़ती है, रक्त का संचार ठीक रहता है और संपूर्ण फिटनेस के लिए अच्‍छा माना जाता है। योग विशेषज्ञ योग की दिनचर्या में उत्कटासन योग के अभ्यास को शामिल करने की सलाह देते हैं। इस आसन से कई प्रकार के फायदे हो सकते हैं।

उत्कटासन योग को चेयर पोज के नाम से भी जाना जाता है। चेयर पोज अभ्यास का मतलब, इसमें कुर्सी पर बैठने जैसी मुद्रा बनानी होती है। इसमें एकाग्रता के साथ संतुलन की विशेष आवश्यकता होती है। इस अभ्यास के दौरान शरीर की कई मांसपेशियां शामिल होती हैं, जिससे उनका अभ्यास हो जाता है। तो आइए जानते हैं कि उत्कटासन योग किस प्रकार से शरीर के लिए फायदेमंद हो सकता है और इसका अभ्यास कैसे करते है?

उत्कटासन योग करने का तरीका :-

उत्कटासन योग  का अभ्यास सभी उम्र के लोग कर सकते हैं। शुरुआत में इसे थोड़े समय के लिए करें। जैसे-जैसे एकाग्रता बनती जाती है, इस योग की अवधि को बढ़ाते जाएं। योग से अधिकतम लाभ पाने के लिए इसका सही तरीके से अभ्यास किया जाना आवश्यक माना जाता है।

उत्कटासन योग का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं और गहरी सांस लेते हुए अपने हाथों को उपर की ओर ले जाएं। अब शरीर को धीरे-धीरे बैठने की मुद्रा में ले आएं, जैसे की आप कुर्सी पर बैठते हैं। इस स्थिति में कुछ सेकेंड्स के लिए रुकें और फिर प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं।

इससे होने वाले फायदे :- उत्कटासन योग के अभ्यास से मांसपेशियों को मजबूत बनाया जा सकता है। यह संतुलन को सुधारने वाला भी अभ्यास है।

  • इस योग से टखनों, जांघों, पिंडलियों और रीढ़ की हड्डी को मजबूती मिलती है।
  • यह योग कंधों और छाती को स्ट्रेच करता है।
  • यह पेट के अंगों और डायाफ्राम को उत्तेजित करने वाला अभ्यास है।
  • यह हृदय गति को बढ़ाता है। संचार और मेटाबॉलिज्म प्रणालियों में भी इससे लाभ हैं।
  • नर्वस सिस्टम को टोन करते हुए सहनशक्ति को बढ़ावा देता है।
  • कोर और पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करके इनकी शक्ति को बढ़ाता है।

सावधानियां :-

स्वास्थ्य विशेषज्ञ के अनुसार, कुछ स्थितियों में उत्कटासन योग के अभ्यास को नहीं करना चाहिए, इससे आपकी जटिलताओं के बढ़ने का खतरा हो सकता है। यदि आपको घुटनों में क्रोनिक दर्द, गठिया, टखने में मोच जैसी दिक्कत हो तो इस योग का अभ्यास न करें। इस योग से घुटने, पैरों पर दबाव बढ़ता है जिससे आपकी समस्याएं बढ़ सकती हैं। मासिक धर्म के दौरान या पीठ के निचले हिस्से में दर्द होने पर भी इस योग मुद्रा को न करें।

 

 

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