धर्म। आज मनाया जा रहा है अक्षय तृतीया का त्योहार, जिसे आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन नई शुरुआत और शुभ खरीदारी करने का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन शुभ काम और नई शुरूआत करने पर अक्षय फल की प्राप्ति होती है। अक्षय तृतीया पर सोना और सोने से बने आभूषण की खरीदारी करना बेहत ही शुभ माना जाता है। अक्षय तृतीया की तिथि एक अबूझ मुहूर्त है। अक्षय तृतीया का पर्व मांगलिक कार्यों को करने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा आराधना करने का विधान होता है। अक्षय तृतीया के दिन बिना शुभ मुहूर्त देखे किसी भी तरह का शुभ कार्य, खरीदारी या पूजा-अनुष्ठान किया जा सकता है। तो चलिए जानते हैं अक्षय तृतीया का महत्व, पूजा विधि और खरीदारी का शुभ मुहूर्त।
अक्षय तृतीया पर पूजा शुभ मुहूर्त
- इस वर्ष अक्षय तृतीया दिन शनिवार, 22 अप्रैल 2023 को है। हिंदू पंचांग के मुताबिक अक्षय तृतीया 22 अप्रैल को सुबह 7 बजकर 09 मिनट से शुरू हो रही है और 23 अप्रैल को सुबह 7 बजकर 30 मिनट तक रहेगी। वहीं अगर अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 22 अप्रैल को 7 बजकर 05 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 20 मिनट तक रहेगा।
अक्षय तृतीया पर शुभ संयोग
इस बार अक्षय तृतीया का त्योहार बहुत ही खास माना जा रहा है। क्योकि अक्षय तृतीया के दिन 6 तरह का महायोग रहेगा। तो चलिए आपको बता दें कि आज अक्षय तृतीया के दिन यह 6 महायोग कौन-कौन सा है।
- अक्षय तृतीया के दिन आयुष्मान योग बन रहा है। यह योग 22 अप्रैल को सुबह 09 बजकर 26 मिनट तक रहेगा।
- वहीं दूसरा योग अक्षय तृतीया के दिन सौभाग्य योग बनेगा। यह योग 22 अप्रैल 2023 को 9 बजकर 25 मिनट से शुरू होगा।
- अक्षय तृतीया के दिन तीसरा शुभ योग त्रिपुष्कर योग सुबह 5 बजकर 49 मिनट पर लगेगा।
- 22 अप्रैल को चौथा योग रवि योग बनेगा।
- अक्षय तृतीया के त्योहार के दिन पाचंवा और छठा योग सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है।
अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक अक्षय तृतीया के दिन शुभ मुहूर्त में सोना-चांदी की खरीदारी करने से इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। तो चलिए जानते है कि आज अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त।
- 22 अप्रैल को सुबह 07 बजकर 49 मिनट से 23 अप्रैल सुबह 05 बजकर 48 मिनट तक
- सुबह का मुहूर्त (शुभ) – सुबह 07 बजकर 49 मिनट से सुबह 09 बजकर 04 मिनट तक
- शाम का मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – दोपहर 12 बजकर 20 मिनट से शाम 05 बजकर 13 मिनट तक
- रात्रि का मुहूर्त (लाभ) – शाम 06 बजकर 51 मिनट से रात 08 बजकर 13 मिनट तक
- रात्रि का मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) – रात 09 बजकर 35 मिनट से अगले दिन सुबह 01 बजकर 42 मिनट तक
अक्षय तृतीया का महत्व
- सनातन धर्म और ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक बताया जाता है कि अक्षय तृतीया के त्योहार का विशेष महत्वपूर्ण होता है। क्योकि अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्धि मुहूर्त माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अक्षय तृतीया, गुड़ी पड़वा और विजयादशमी की तिथि को स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है। इसमें किसी भी तरह का शुभ कार्य करने के लिए मुहूर्त का विचार नहीं किया जाता है। मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर सूर्य और चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहते हैं। इस तिथि पर ही वर्ष में इस तरह का संयोग बनता है। इस कारण से इसे अबूझ मुहूर्त कहा जाता है। अक्षय तृतीया पर सूर्य अपनी उच्च राशि अर्थात मेष राशि में और चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में मौजूद होते हैं। अक्षय तृतीया के दिन शुभ कार्य करने पर व्यक्ति के जीवन में हमेशा सुख और सौभाग्य का वास होता है। इस दिन सोने-चांदी की चीजों को खरीदने पर व्यक्ति के जीवन में आर्थिक संपन्नता बनी रहती है।
अक्षय तृतीया पर दान का महत्व
- अक्षय तृतीया पर जितना शुभ खरीदारी का महत्व होता है उतना ही दान करने का भी महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि अभय तृतीया के दिन दान करने से अच्छे कर्मों की कभी क्षय नहीं होती है। अक्षय तृतीया के दिन अक्षय पुण्य हासिल करने के लिए आप इन चीजों का दान कर सकते हैं- जल, कुंभ, शक्कर, छाता, सत्तू, पंखा, जल से भरा हुआ घड़ा, शक्कर, गुड़, बर्फी, सफेद रंग के वस्त्र, नमक, शरबत, चावल और चांदी का दान।
अक्षय तृतीया क्यों होती है इतनी खास
- अक्षय तृतीया का त्योहार वर्ष के साढ़े तीन मुहूर्त में से एक होती है जिसे सबसे शुभ माना जाता है। इस तिथि पर सभी तरह के शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
2. अक्षय तृतीया पर गंगा स्नान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन गंगा स्नान और दर्शन करने से व्यक्ति के सभी तरह के पाप मिट जाते हैं।
3. अक्षय तृतीया पर पितृ श्राद्ध करने का भी विधान है। इस तिथि पर अपने पितर देवों के नाम से तर्पण करना बहुत शुभ होता है। - अक्षय तृतीया पर सोना ख़रीदना और विवाह करना बहुत ही शुभ होता है।
5. अक्षय तृतीया की तिथि को भगवान परशुराम और हयग्रीव अवतरित हुए थे।
6. त्रेतायुग का प्रांरभ भी इसी तिथि से माना जाता है।
7. अक्षय तृतीया के दिन से उत्तराखंड में श्री बद्रीनाथ जी के पट खुलते हैं।