ट्री हाउस के लिए नहीं मिलेगा होम स्टे का लाइसेंस
हिमाचल प्रदेश। कुल्लू में सैलानियों को आकर्षित करने के लिए लोगों की ओर से ट्री हाउस का निर्माण किया जा रहा है। जिन्हें पर्यटन विभाग होम स्टे में न तो पंजीकरण करेगा और ही न ही लाइसेंस देगा। जिला कुल्लू की बंजार और तीर्थन घाटी में करीब एक दर्जन ट्री हाउस हैं। इसमें आधे संचालित हैं और इतने का ही निर्माण हो रहा है। पर्यटन कारोबारियों ने पर्यटकों को रिझाने के लिए ये नई तरकीब निकाली है। पर्यटकों को प्राकृतिक सुंदरता के नजारों से अगवत करवाने के लिए पिछले एक साल से ट्री हाउस का निर्माण बढ़ा है। ट्री हाउस खासकर देवदार, कायल और चील के पेड़ों पर तैयार किया जाता है। पर्यटक इसे काफी पसंद करते हैं और सैलानियों की रुचि बढ़ता देख कारोबारियों ने भी ट्री-हाउसों पर अधिक फोकस करना शुरू कर दिया है, लेकिन अब पर्यटन विभाग ने इन झटका दिया और अब ट्री हाउस होमस्टे में पंजीकृत नहीं होंगे। कारोबारियों को ट्री हाउस को होटल या फिर रेस्ट हाउस में पंजीकरण करना होगा। इसका खुलासा तब हुआ जब जिला पर्यटन विभाग की एक टीम होम स्टे और रेस्टा हाउस के निरीक्षण के लिए बंजार घाटी पहुंची। जिला पर्यटन अधिकारी कुल्लू राजेश भंडारी ने कहा कि नियमों में ट्री हाउस का होम स्टे में पंजीकरण नहीं होगा। इसका पंजीकरण होटल और रेस्ट हाउस में ही होगा। कुल्लू में करीब एक हजार के करीब होम स्टे हैं। इसी तर्ज पर ट्री हाउस को एक पेड़ पर लकड़ी से बनाया जाता है। इसमें बालकनी के साथ कमरा होता है। जिसमें पर्यटकों को सभी प्रकार की सुविधाएं दी जाती हैं। ट्री हाउस में प्रतिदिन का 1500 से 2500 रुपये किराया रहता है। जिभी वैली डेवलपमेंट टूरिज्म एसोसिएशन के अध्यक्ष ललित कुमार ने कहा कि घाटी में ट्री हाउस का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है।