पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, यदि आपके जीवन में दृढ़ विश्वास और पुरुषार्थ है तो सफलता आपके चरण चूमती है। ‘राम सदा सेवक रूचि राखी’ कई बार शास्त्रों में वर्णन आता है कि-‘ देवता पराजित हुए हैं और दैत्यों की विजय हुई है। विजय ईश्वर की शक्ति से ही प्राप्त होती है और वह शक्ति कभी-कभी दैत्यों को विजय श्री दिलाया करती है। उसका कारण है। जब देवताओं में प्रमादा आ जाता है, जब वैष्णवों की वैष्णवता समाप्त होने लगती है तो भगवान् दैत्यों को जिताकर देवताओं को सावधान किया करते हैं। एक विद्वान लेखक ने बड़ी अच्छी बात लिखी है। शुद्ध का मतलब होता है शत् प्रतिशत शुद्ध, उसमें एक प्रतिशत की भी मिलावट न हो। मिश्रण कितना भी कम क्यों न हो पर शत प्रतिशत शुद्ध हो तभी शुद्ध है। बुराई दोनों में आ गई- देवताओं में भी, दैत्यों में भी। वैष्णवों में भी दोष आ जाये तो विजय दैत्यों की होती है। यह ठीक है कि देवताओं में दोष कम है, दैत्यों में ज्यादा है लेकिन विजय दैत्यों की होती है। क्योंकि शुद्धि का मतलब पूर्ण शुद्धि होनी चाहिये। एक बोतल गंगाजल में यदि एक बूंद मदिरा डाल दी जाये तो पूरी की पूरी बोतल अशुद्ध हो जाती है। आपके जीवन में यदि आस्तिकता है,यदि आप ईश्वर पर विश्वास करते हैं तो पूर्णतया कीजिए और नहीं तो आप नास्तिक ही माने जायेंगे। बीच में न रहें।पूर्ण आस्तिक बनें, नहीं तो धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का। आस्तिक भी बनें और पूर्ण विश्वास भी नहीं हुआ, भजन करते रहे और जो फल मिलना था वो प्राप्त नहीं हुआ।पुराणों में वर्णन आता है पुराणों में वर्णन आता है कि कभी-कभी दैत्य विजई होते हैं और कभी-कभी देवता विजयी होते हैं। जब दैत्य विजयी होते हैं तो समझना कि उनके जीवन में संयम आ गया। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा,
(उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर
जिला-अजमेर (राजस्थान)