पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मानव जीवन दुर्लभ है, वैष्णव धर्म का पालन करना है। ईश्वर के लिये यदि काम छूटता है तो छोड़ देना, काम के लिये ईश्वर को नहीं छोड़ना। अगर हम भजन नहीं करेंगे तो बार-बार जीना और मरना पड़ेगा। एक बार भजन कर लेंगे तो जन्म-मृत्यु के चक्कर से छूट जायेंगे। पहले हमें साधन भक्ति करनी है, बाद में हमें प्रेमा भक्ति प्राप्त होगी। जैसे कच्चा आम का फल खट्टा होता है। पक जाने के बाद मीठा हो जाता है। लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि यदि कच्चे आम को संभालोगे नहीं तो मीठा रस मिलेगा नही। कच्चे आम में रस नहीं है, जब पक जाता है तब रस-ही-रस है। इसी तरह साधन भक्ति में स्वाद नहीं है। लेकिन यदि साधन भक्ति करते रहोगे और वह भक्ति जब प्रेमा भक्ति के रूप में बदल गई, उसमें रस-ही-रस भरा हुआ है, फिर उसमें दुःख का प्रवेश ही नहीं होता। आप कहोगे कि मन तो लगता नहीं फिर भजन करने में क्या सार हैं। ऐसी गलती नहीं करना। परीक्षा के दिनों में पढ़ाई में मन लगे या न लगे पर विद्यार्थी को पढ़ाई करनी है। रात में नींद के झोंके आते हैं, तब कभी चाय पीता है, कभी आंखो में छीटे मारता है, फिर पढ़ने बैठ जाता है क्योंकि वह समझता है कि यदि मैंने इस समय आलस्य किया तो मेरा साल खराब हो जायेगा। विद्यार्थी की आलस्य से उसका एक साल खराब हो जायेगा लेकिन आपके आलस्य से आप के हजारों जन्म खराब हो जायेंगे। जैसे कच्चे आम को भी पकने की आशा से, मीठा रस पाने की आशा से, आमवाला संभालता है। इसी तरह भक्ति में मन लगे या न लगे लेकिन जबरदस्ती मन को भक्ति में लगाना है। लगाते-लगाते फिर अपने आप आपका मन लगने लगेगा, अंदर रस पैदा होगा। कल्याण होगा। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना।श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)