नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह में निजी डेटा संरक्षण विधेयक के पेश किए जाने की संभावना है, इसकी एक संसदीय समिति जांच भी कर रही है। सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि भाजपा सांसद पीपी चौधरी की अध्यक्षता में संसद की संयुक्त समिति ने विधेयक पर मसौदा रिपोर्ट पर चर्चा करने के लिए शुक्रवार को बैठक की, लेकिन इस बैठक में इसे स्वीकार नहीं किया जा सका, क्योंकि प्रस्तावित कानून में अभी कुछ और संशोधनों का सुझाव दिया गया है। सूत्रों के अनुसार इस विधेयक पर मसौदा रिपोर्ट को अपनाने के लिए समिति 22 नवंबर को फिर से बैठक करेगी। समिति ने विभिन्न हितधारकों के साथ बिल पर व्यापक चर्चा की है, जिसमें ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया दिग्गज, ई-कॉमर्स खिलाड़ी और दूरसंचार शामिल हैं। दिसंबर 2019 में कैबिनेट द्वारा अनुमोदित विधेयक के मसौदे में नागरिकों की स्पष्ट सहमति के बिना व्यक्तिगत डेटा के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है। यह बिल पिछले साल फरवरी में लोकसभा में पेश किया गया था। इसे बाद में भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त समिति के पास भेज दिया गया था। अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद इसका मसौदा तैयार किया गया था, जिसमें ‘निजता के अधिकार’ को मौलिक अधिकार घोषित किया गया था। शीर्ष अदालत ने सितंबर 2018 में अपने फैसले में एक मजबूत व्यक्तिगत डेटा संरक्षण व्यवस्था की आवश्यकता पर प्रकाश डाला था जिसमें उसने आधार को संवैधानिक रूप से वैध योजना के रूप में रखा था, लेकिन आधार अधिनियम में कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया था। बिल के प्रावधानों के अनुसार सभी इंटरनेट कंपनियों को अनिवार्य रूप से देश के अंदर व्यक्तियों के महत्वपूर्ण डेटा को स्टोर करना होगा। केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर क्रिटिकल डेटा को परिभाषित भी किया जाएगा। स्वास्थ्य, धार्मिक या राजनीतिक अभिविन्यास, बायोमेट्रिक्स, आनुवंशिक, सेक्सुअल ऑरिएंटेशन, स्वास्थ्य, वित्तीय और अन्य से संबंधित डेटा को संवेदनशील डेटा के रूप में पहचाना गया है।