युद्ध में सदैव धर्म की होती है विजय: दिव्य मोरारी बापू
राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि लंकाकाण्ड एवं उत्तरकाण्ड लंकाकाण्ड- रामेश्वर पूजा, श्रीराम सेतु का निर्माण, युद्ध और भगवान श्रीराम की विजय गाथा का गान किया गया है। युद्ध में रावण रथ पर और भगवान श्रीराम के चरण में पादुका भी नहीं थी। भगवान् जब युद्ध के लिए चले तो विभीषण जी महाराज ने कहा कि इस युद्ध में हम लोगों की विजय कैसे होगी। रावण रथी विरथ रघुवीरा। देखि विभीषण भायउ अधीरा। श्री विभीषण जी महाराज कहते हैं कि विश्व विजयी रावण अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित रथ के ऊपर है और आपके श्रीचरणों में पादुका भी नहीं है। वहां भगवान श्रीराम ने धर्मरथ का निरूपण किया। सखा धर्ममय अस रथ जाके। जीतन कहुँ न कतहुँ रिपु ताके। भगवान श्री राम कहते हैं’ युद्ध में विजय के लिये लोहे लकड़ी के रथ का महत्व नहीं है। धर्मरथ का महत्व है। रावण अधर्म पर है, मैं धर्म पर हूँ। विजय सदैव धर्म की होती है। धर्म पर चलने वाला परेशान जरूर हो सकता है। लेकिन पराजित नहीं हो सकता।
धर्म की जड़ सदैव हरी है, इससे हम लोगों को शिक्षा है कि- हमें सदैव धर्म के मार्ग पर ही चलना चाहिये। अधर्म के मार्ग का पूर्णतया क्या करना चाहिए। अधर्म पर धर्म, बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य की विजय ही भगवान श्री राम की विजय है। समर विजय रघुवीर के, चरित जे सुनहिं सुजान। विजय विवेक विभूति नित तिन्हहि देहिं भगवान। पूज्य गोस्वामी श्री तुलसी दास जी महाराज ने भगवान की विजय गाथा सुनने की फलश्रुति में कहा कि जो इस कथा को सुनेंगे उनको जीवन में विजय, विवेक, विभूति अर्थात् वैभव की प्राप्ति होगी।
उत्तरकाण्ड÷ उत्तरकांड में चौदह वर्ष की वनयात्रा पूर्ण करके भगवान् श्रीराम अयोध्या आते हैं और श्री रामराज्य की स्थापना होती है। राम राज्याभिषेक के साथ श्री राम कथा को सम्पूर्ण किया गया। छोटीकाशी बूंदी की पावन भूमि, श्री सुदामा सेवा संस्थान वृद्धाश्रम एवं वात्सल्यधाम का पावन स्थल, पूज्य महाराज श्री- श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में- श्री दिव्य चातुर्मास महामहोत्सव के अंतर्गत शारदीय नवरात्रा के पावन अवसर पर श्रीराम राज्याभिषेक की कथा का गान किया गया। कल की कथा में श्रीमद्भगवद्गीता के प्रथम अध्याय की कथा का गान किया जायेगा।