Bhagalpur Bridge Collapse: उड़ीसा के बालासोर में हुए भीषण रेल हादसे पर केंद्र सरकार को घेर रहे बिहार की नीतीश कुमार सरकार के सारे सिपहसलार अचानक गुम हो गए। सीएम नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट धाराशायी होने के कारण बिहार में विपक्ष हावी हो गया है। पुल पर राजनीति गरम करने के लिए सरकार ने ही विपक्ष को मसाला दे दिया है। सबसे बड़ा मसाला यही है कि आठवीं और अंतिम डेडलाइन 31 दिसंबर 2023 के हिसाब से काम हो रहा था और पुल गिरने पर मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दिए, जबकि उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार को पता था कि यह तो गिरेगा ही।
बिहार सरकार अब जांच कराए या यह दावा करे कि पुल गिरने की आशंका पहले ही थी, आमजन कोई तर्क स्वीकार ने को तैयार नहीं है। मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने महागठबंधन सरकार के मुखिया नीतीश कुमार को पहली बार भ्रष्टाचार पर घेरना शुरू किया है तो आम जनता सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल के ढहने की तस्वीर लगाकर सरकार को ट्रोल कर रही है। नौ साल से यह पुल एक कंपनी बना रही है और कुल लागत की 10% राशि दो साल के अंदर गंगा में समाती दिख चुकी है।
बिहार में कई प्रोजेक्ट इस कंपनी के पास
ऐसा दूसरी बार है जब गंगा नदी पर बन रहे सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल को लोगों ने ढहते देखा। करीब 3160 मीटर लंबे निर्माणाधीन पुल का लगभग 600 मीटर हिस्सा, यानी करीब 20% गंगा में समा चुका है। अप्रैल 2022 में करीब 200 मीटर और इस बार लगभग 400 मीटर नदी में समाया है। इस पुल के निर्माण का टेंडर एसपी सिंगला कंपनी के नाम खुला था। 2014 से पुल ‘निर्माणाधीन’ ही है। कुछ दिनों पहले ही आठवीं और कथित तौर पर अंतिम डेडलाइन मिली थी 31 दिसंबर 2023 की। इससे पहले इसी माह के अंत तक पुल का निर्माण कार्य पूरा करने की डेडलाइन थी। पटना आउटर रिंग रोड, सिमरिया के नए सेतु समेत इस कंपनी को बिहार में सीएम नीतीश कुमार के कई ड्रीम प्रोजेक्ट मिले हुए हैं। तारीख-दर-तारीख बढ़ती रहती है और कार्रवाई नहीं होने के कारण सवाल उठते रहते हैं, लेकिन इसपर न तो सरकार सीधे तौर पर कुछ कहती है और न कंपनी के अधिकारी मीडिया से बात करते हैं।
दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश
सीएम नीतीश कुमार इस पुल के दूसरी बार गिरने से बिफरे हुए हैं। रविवार को उन्होंने जांच के आदेश दिए और सोमवार को दोषियों पर कार्रवाई का निर्देश दिया। “पुल को गिरना ही था”- डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की बात से इत्तेफाक नहीं रखते हुए सीएम ने साफ कहा कि पहली बार गिरने पर भी जांच कराने कहा था, इस बार तत्काल जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। बिहार में निर्माणकारी एजेंसी पर कार्रवाई के कारण प्रोजेक्ट की राशि बढ़ने के भी केस हो चुके हैं और अगर मुख्यमंत्री के निर्देश पर दोषी एजेंसी पर कार्रवाई हुई तो लागत राशि बढ़ने की खबर भविष्य में आ सकती है।
मछलियों की दौड़भाग से हुआ हादसा!
3160 मीटर लंबे पुल का 200 मीटर का सेगमेंट 30 अप्रैल 2022 को आंधी में गिर गया था। तब पिलर नंबर 4-6 के बीच का हिस्सा गिरा था। अब जब 04 जून 2023 को पिलर नंबर 10-13 के बीच 400 मीटर सेंगमेंट ढहा तो लोगों ने मजाक उड़ाना शुरू किया कि इस बार धूप में पुल ढह गया। सोशल मीडिया पर लोगों ने यह तक लिखा कि मछलियों की ज्यादा दौड़भाग से यह हादसा हुआ है। जैसे भी हो, इस बार के नुकसान का प्राथमिक आकलन करीब 150 करोड़ का है। मतलब, दो बार मिलाकर कुल लागत का 10% से ज्यादा लागत राशि गंगा में समा चुकी है।
डिजाइन या तकनीकी गड़बड़ी…जांच रहे हैं
बता दें कि कंपनी की ओर से न 2022 के पुल ढहने पर औपचारिक बयान आया और न अब। सरकार ने 2022 की घटना के बाद जांच के लिए आईआईटी रूड़की को कैसा जिम्मा दिया कि वह रिपोर्ट भी अबतक सार्वजनिक नहीं हुई। रविवार को आननफानन में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने जो बयान दिया, उसमें भी वजह साफ नहीं हुई। पुल निर्माण निगम की ओर से जांच की ही बात कही जा रही है। मौके पर मिले पुल निर्माण निगम के सीनियर प्रोजेक्ट इंजीनियर योगेंद्र कुमार ने भी यही कहा कि डिजाइन या तकनीकी गड़बड़ी के कारण यह गिरा, असली वजह की जानकारी अभी नहीं है।