Washington Post: भारत और हिन्दुओं के विरुद्ध लगातार प्रोपेगेंडा करने वाले ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ ने अब देश के लोगों के बीच नई खाई पैदा करने की कोशिश की है. उन्होंने झारखंड में जनजातीय समुदाय के लिए काम करने वाले हिंदू संगठनों पर धर्मांतरण का आरोप लगाया है.
वाशिंगटन पोस्ट ने अपने नए हमले में हिन्दुओं और जनजातीय समुदाय को भड़का कर झारखंड में संघर्ष को बढ़ावा देने का प्रयास किया है. दरअसल 1 फरवरी को वाशिंगटन पोस्ट ने इसी से संबंधित एक लेख प्रकाशित किया है, जिसमें उसने आरोप लगाया है कि हिन्दू संगठन झारखंड के जनजातीय समुद्र धर्मान्तरित करना चाहते हैं और इसके लिए प्रचार अभियान भी चला रहे हैं.
साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और अन्य हिन्दू संगठन जनजातीय समुदाय को यह विश्वास दिला रहे हैं कि वह भी बृहत्तर हिन्दू धर्म लगाया कि इससे वह इन जनजातियों की पहचान छीन रहे हैं.
वाशिंगटन पोस्ट ने यह दावा उस वक्त किया है जब झारखंड में ईसाई मिशनरिया तेजी से अपनी घुसपैठ बढ़ा रही हैं और साथ ही कमजोर तबकों के लोगों को इस्लाम में धर्मातरण के लिए भी प्रयास चल रहे हैं और राज्य में बीच बांग्लादेशी घुसपैठ बढ़ी है, जिसके चलते जनजातीय समुदाय घटा है.
वाशिंगटन पोस्ट का कहना है कि घने जंगलों में भी भारत का दक्षिणपंथी हिंदू आंदोलन ऐतिहासिक रूप से सेक्युलर देश को हिंदू राष्ट्र में बदलने के अपने प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, और वह लंबे समय से मुख्यधारा के धर्म से बाहर रहे लाखों जनजातीय लोगों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश कर रहा है कि वे भी हिंदू ही हैं.”
हिन्दू संगठनों के प्रयास का अमेरिकी अखबार ने उड़ाया मजाक
अमेरिकी अखबार ने जनजातीय समुदाय की प्रथाओं और उनके रीति रिवाजों को बचाने के लिए हिन्दू संगठनों के प्रयास का मजाक भी उड़ाया है. वाशिंगटन पोस्ट के पोपेगेंडा से लगता है कि वह झारखंड में ईसाई मिशनरियों के दुष्प्रचार को जवाब मिलने पर बौखलाया हुआ है.
धर्मांतरण रोकने को ‘मिशनरी अभियान’ बता रहा वाशिंगटन पोस्ट
दरअसल, झारखंड को बिहार से अलग करके बनाया गया था. झारखंड को इस उद्देश्य के साथ बनाया गया था कि यहां रहने वाले जनजातीय समुदाय का विकास हो सके. 2011 की जनगणना के अनुसार 678% लोग (बहुमत) हिंदू है. वहीं, ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ के दावों के उलट, यहां काम करने वाले हिन्दू संगठन किसी को हिन्दू बनाने नहीं आए हैं, क्योंकि यह राज्य पहले से ही हिन्दू बहुल है. बल्कि हिन्दू संगठन यहां धर्मातरण के नेक्सस को तोड़ने के लिए काम कर रहे हैं.
हिन्दू संगठन लगातार राज्य में उन संगठनों के खिलाफ भी अभियान चला रहे हैं, जो गरीब जनजातीय जनता की किसी प्रकार का लालच देकर धर्मातरित करते हैं. बहला फुसला कर ले गए लोगों को वापस लाने का काम भी हिन्दू संगठन कर रहे हैं.
‘वनवासी कल्याण आश्रम’ और ‘विकास भारती’ को भी बताया निशाना’
बता दें कि वाशिंगटन पोस्ट ने अपने लेख में झारखंड में जनजातीय समुदाय के विकास के लिए काम करने वाली संस्थाओं ‘वनवासी कल्याण आश्रम’ और ‘विकास भारती’ को भी निशाना बनाया और इन पर झूठ फैलाने की कोशिश की. उसने आरोप लगाया कि विकास भारत संगठन जनजातीय समुदाय को प्रकृति पूजक, हिन्दू और ईसाई में बाँट रहा है.
शिवरात्रि पर आयोजित कार्यक्रम को भी बनाया निशाना
इसके साथ ही विकास भारत द्वारा शिवरात्रि पर आयोजित किए गए एक कार्यक्रम को भी उसने निशाना बनाया. इस कार्यक्रम में स्थानीय जनजातीय समुदाय को भी शामिल किया गया, जिसे लेकर वाशिंगटन पोस्ट का दावा है कि यह कार्यक्रम प्रकृति पूजकों को हिन्दू धर्म में लाने का एक प्रयास था.
वाशिंगटन पोस्ट ने झारखंड में जनजातीय समुदाय के कल्याण के लिए काम करने वाले ‘वनवासी कल्याण आश्रम’ को भी निशाना बनाया और दावा किया कि यह धर्मांतरण के लिए यह धर्मातरण के लिए काम कर रहा है. वनवासी कल्याण आश्रम कथित तौर पर ‘हिन्दू धर्म’ से अलग रहे जनजातीय समुदाय को हिन्दू बना रहा है.
सरना कोड के सहारे विवाद का प्रयास
वाशिंगटन पोस्ट ने हिंदुओं और ‘प्रकृति पूजकों के बीच और अधिक खाई पैदा करने के लिए सरना कोड का मुद्दा उठाया और इसे RSS के लिए नया विवाद और चुनौती बताते हुए कहा कि “छत्तीसगढ़ के जशपुर और बिशुनपुर में हिन्दू संगठन के लिए काम करने वाले जनजातीय लोग भी अलग धार्मिक पहचान सरना कोड की वकालत कर रहे है.
वहीं, वनवासी कल्याण आश्रम’ के साथ काम करने वाली एक प्रकृति पूजक जनजातीय नर्स का उदाहरण देते हुए कहा कि वाशिंगटन पोस्ट के साथ कथित बातचीत में नर्स ने आरोप लगाया कि उसे खुद को हिन्दू बताने पर मजबूर किया जा रहा है जबकि वह ‘सरना धर्म मानती है.
अपने इस प्रोपेगेंडा लेख में वाशिंगटन पोस्ट ने दावा किया कि हिन्दू सरना कोड इस लिए नहीं चाहते क्योंकि इससे जनजातियों के विदेशी मिशनरियों से खतरे की बात कमजोर होती है. हालांकि यह बात सच ही हैं क्योंकि ईसाई मिशनरियों को जनजातीय और गरीब तबकों में ज्यादा सफलता मिली है.
सरना कोड का मामला
भारत का कानून हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन जैसे 6 धार्मिक समुदायों को मान्यता देता है. कॉन्ग्रेस- JMM सरकार ने इसके अतिरिक्त सरना धर्म के लिए भी धार्मिक संहिता लागू करने का वादा किया था. झारखंड की NIDI गठबंधन सरकार ने इस संबंध में एक प्रस्ताव विधानसभा से पारित करवाया था. इसको भाजपा ने भी समर्थन दिया था.
इस संबंध में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. भाजपा ने झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणापत्र सरना सहिता पर विचार करने का वादा किया था. झारखंड भाजपा चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान ने कई मौकों पर इस रुख को दोहराया.
सरना कोड जनजातीय समुदाय समाज को एक अलग धार्मिक समूह के रूप में मान्यता देता है. भाजपा इसका सार्वजनिक रूप से विरोध नहीं करती. भाजपा ने सार्वजनिक रूप से इसका विरोध नहीं किया है, लेकिन RSS जनजातीय समाज को हिंदू धर्म का हिस्सा मानता है.
RSS वनवासी कल्याण आश्रम जैसे संगठनों के माध्यम से जनजातीय क्षेत्रों में इसी मान्यता के साथ काम करता है RSS से जुड़े आदिवासी सुरक्षा मंच के क्षेत्रिय समन्वय (बिहार-झारखंड) संदीप उरांव का दावा है कि सरना कोड लागू करने से विभिन्न स्तरों पर कई समस्याएं पैदा होगी.
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