गोरखपुर। भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव सोमवार यानी आज श्रद्धा पूर्वक मनाया जा रहा है। कोरोना संक्रमण के मद्देनजर इस बार भी जन्माष्टमी पर्व पर सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होंगे। सभी जगहों पर सादगी से भगवान का जन्म उत्सव मना भक्त मंगल कामना करेंगे। इस बार अष्टमी तिथि पर दिन सोमवार और रोहिणी नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इसे शास्त्रों में अत्यंत शुभकारी माना गया है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखकर विधि-विधान से भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि श्रीकृष्ण अष्टमी का व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और कष्टों का निवारण होता है। जन्माष्टमी को लेकर हर तरफ लोगों में उल्लास और उत्साह दिखा। हालांकि कोरोना के कारण इस बार भी पिछले साल की तरह सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होंगे। रविवार को जन्माष्टमी से संबंधित पूजन सामग्री, झांकी सजाने के सामानों और कपड़ों की खरीदारी को लेकर बाजारों में चहल-पहल दिखी। पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी पर्व के समय छह तत्वों, भाद्रपद का महीना, कृष्ण पक्ष, अर्धरात्रि काल, अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृष का चंद्रमा और बुधवार या सोमवार का दिन एक साथ बड़ी कठिनाई से प्राप्त होते हैं। इसे फलदाई माना जाता है। पं नरेंद्र उपाध्याय ज्योतिर्विद के अनुसार, सूर्य व मंगल इस बार 30 अगस्त को सिंह राशि में हैं, जहां सूर्य स्वगृही हैं। बुध और शुक्र कन्या राशि में हैं, जहां बुध स्वगृही हैं। शनि, मकर राशि में वक्री हैं। गुरु, कुंभ राशि में वक्री हैं। चंद्रमा एवं राहु का ग्रहण योग वृषभ राशि में बना हुआ है। ग्रहों की बात करें तो चंद्रमा और राहु के कुयोग को छोड़कर (ग्रहण योग) सभी ग्रहों की स्थित लगभग अच्छी है। जनमानस को भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद मिलेगा। गोरखनाथ मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व सादगी के साथ मुख्य मंदिर में मनाया जाएगा। यह जानकारी देते हुए कार्यक्रम संयोजक राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि कोविड से बचाव को देखते हुए इस वर्ष कृष्ण रूप सज्जा की प्रतियोगिता नहीं होगी। जो बच्चे कृष्ण रूप में आएंगे उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा। उन्होने बताया कि संध्या आरती के पश्चात भजन कीर्तन का कार्यक्रम प्रारंभ होगे, जो रात्रि 12 बजे भगवान श्री कृष्ण के जन्म तक चलेगा।