गोरखपुर। जल्द ही पूर्वोत्तर रेलवे के इतिहास और इसकी विकास गाथा की जानकारी कोई भी ऑनलाइन ही जान सकेगा। रेल प्रशासन पहली बार ई-कॉफी टेबल बुक तैयार करा रहा है, संग्रह की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। 150 पेज वाली कॉफी टेबल बुक रेलवे के सभी डिजिटल प्लेटफॉर्मों पर उपलब्ध रहेगी। भविष्य में इसे पुस्तक के रूप में प्रकाशित भी किया जाएगा।
ई-कॉफी टेबल बुक में पुरानी तस्वीरें भी रहेंगी। रेलवे के उत्तरोत्तर विकास की दास्तां तो रहेगी ही, रेल लाइनों, स्टेशनों और ट्रेनों की प्रगति के अलावा पूर्वोत्तर रेलवे में पड़ने वाले पर्यटन और धार्मिक स्थलों का महत्व भी देखने को मिलेगा। पूर्वोत्तर रेलवे के वर्ष 1874 से 2024 तक 150 सालों के इतिहास, इसके विकास का इतिहास क्यों और कैसे हुआ, रेलवे की नींव किन परिस्थितियों में पड़ी। सामान ढोने के लिए बनी रेल धीरे-धीरे कैसे लोगों की जीवनरेखा बन गई। 14 अप्रैल 1952 को पूर्वोत्तर रेलवे अस्तित्व में कैसे आया। आज रेलवे का पूरा सिस्टम कैसे डिजिटल प्लेटफार्म पर कार्य कर रहा है, यह सबकुछ इसमें दर्ज होगा। पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि पूर्वोत्तर रेलवे के इतिहास को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने के लिए ई-कॉफी टेबल बुक तैयार की जा रही है। इस डिजिटल बुक में ऐतिहासिक घटनाक्रम, पूर्वोत्तर रेलवे का उद्गम, गेज का इतिहास, स्टेशनों का बदलता स्वरूप, पर्यटन स्थलों आदि का इतिहास रहेगा। इसका मकसद है कि आने वाली पीढ़ी रेलवे के इतिहास को समझ सके।