Uttar Pradesh Foundation Day 2024: क्‍या है उत्‍तर प्रदेश का स्वर्णिम इतिहास, क्‍यों कहते है इसे सहित्‍य, संगीत, संस्‍कृति

Uttar Pradesh Foundation Day 2024: उत्‍तर प्रदेश भारत का एक ऐसा राज्‍य है, जो क्षेत्रफल की दृष्टि से तो भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन जनसंख्या के मामले में नंबर एक पर आता है. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश कुल 240,928 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है.

वहीं, यदि उत्‍तर प्रदेश की जनसंख्‍या की बात करें तो पिछली जनगणना के मुताबिक, प्रदेश की कुल जनसंख्‍या 19 करोड़ 98 लाख 12 हजार 341 दर्ज की गई थी, जो कि पूरे भारत की करीब 16 फीसदी थी. हालांकि वर्तमान में यह आकड़ा 24 करोड़ के आसपास पहुंच गया है. लेकिन क्या आपको पता है कि उत्तर प्रदेश का मूल नाम क्‍या है, इसकी स्‍थापना (Uttar Pradesh Foundation Day) कब हुई थी, यदि नहीं तो चलिए जानते है.

Uttar Pradesh Foundation Day: क्‍या है उत्‍तर प्रदेश का मूल नाम?

आपको बता दें कि उत्‍तर प्रदेश का मूल नाम यह नहीं है, दरअसल आजादी के पहले इसे संयुक्त प्रांत के नाम से जाना जाता था. दरअसल, 24 जनवरी 1950 के दिन भारत के गवर्नर जनरल ने यूनाइटेड प्रोविन्स आदेश पर ‘संयुक्त प्रांत’ को ‘उत्तर प्रदेश’ नाम से नामकरण किया. इसके बाद इसे उत्‍तर प्रदेश राजपत्र (असाधारण) में प्रकाशित किया गया था.

Uttar Pradesh Foundation Day: कब मनाया जाता है प्रदेश की स्‍थापना?

24 जनवरी 1950 में सयुक्‍त प्रांत का नाम बदलकर उत्‍तर प्रदेश करने के बाद से ही प्रत्येक वर्ष 24 जनवरी को उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस (Uttar Pradesh Foundation Day) मनाया जाता है. ऐसे में लिए जानते है उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस (Uttar Pradesh Foundation Day) के इतिहास, महत्व एवं नाम-परिवर्तन के बाद की इस राज्य के बारे में विस्तार से…

Uttar Pradesh Foundation Day: क्या है उत्तर प्रदेश के जन्म की कहानी?

अभिलेखों के मुताबिक 1834 तक बंगाल, बंबई और मद्रास ये कुल तीन सूबे थे. ऐसे में चौथे सूबे के गठन की जरूरत महसूस की जा रही थी, जिसकी परिणति आगरा सूबे के रूप में हुई. दरअसल, ब्रिटिश शासन के अनुसार सूबे का प्रमुख गवर्नर होता था. जनवरी 1858 में लॉर्ड कैनिंग इलाहाबाद आ बसे. इस प्रकार उत्तरी पश्चिमी सूबा का गठन हुआ. जिससे शासन की सारी शक्ति आगरा से इलाहाबाद पहुंच गई. इसी क्रम में 1868 में उच्च न्यायालय भी आगरा से इलाहाबाद स्थानांतरित हो गया और 1856 में अवध को मुख्य आयुक्त के अधीन किया गया. इसके बाद विभिन्न जनपदों का उत्तरी पश्चिमी सूबे में विलय की प्रक्रिया प्रारंभ हुई.

वहीं, 1877 में उत्तर पश्चिमी सूबा अवध के नाम से लोकप्रिय हुआ. साल 1902 में पूरे सूबे को ‘यूनाइटेड प्रोविंस ऑफ आगरा एंड अवध’ नाम मिला. 1920 में विधान परिषद का गठन हुआ. ऐेसे मे मंत्रियों एवं गवर्नर को लखनऊ ही रहना था. इसलिए तत्कालीन गवर्नर सर हरकोर्ट बटलर ने अपना मुख्यालय लखनऊ में ही स्थापित कर दिया. हालांकि 1935 तक लखनऊ सूबे की राजधानी बन चुकी थी. वहीं, अप्रैल 1937 में यूनाइटेड प्रोविंस रखा गया. आजादी के बाद 24 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान के अंतर्गत उत्तर प्रदेश कर दिया गया.

Uttar Pradesh Foundation Day: उत्तर प्रदेश का बहुमुखी महत्व!

आपको बता दें कि श्रीराम, श्रीकृष्ण एवं भगवान शिव का प्रदेश उत्तर प्रदेश सदा से धर्म, कला, संस्कृति, साहित्य, राजनीति का केंद्र रहा है. प्रदेश आदिकाल से प्राचीन सभ्यताओं एवं संस्कृति की पहचान रहा है. यहां आश्रमों में वैदिक साहित्य मन्त्र, मनुस्मृति, महाकाव्य-वाल्मीकि रामायण, रामचरितमानस एवं महाभारत के उल्लेखनीय हिस्सों का जीवंत दस्तावेज भी उपलब्ध है.

संगीत क्षेत्र की विभूतियां

वहीं, संगीत के क्षेत्र में जहां मुगल युग में तानसेन और बैजू बावरा जैसी विभूतियां दी, वहीं आधुनिक काल में संगीत सम्राट नौशाद, नृत्य कला में बिरजू महाराज, लच्छू महाराज आदि इसी प्रदेश की मिट्टी से उपजे. इतना ही नहीं, 18 वीं शताब्दी में उत्तर प्रदेश के वृंदावन और मथुरा के मंदिरों में भक्तिपूर्ण नृत्य की शास्त्रीय नृत्य शैली कथक यहीं उत्पन्न हुई. इसके साथ ही भोजपुरी की लोकप्रिय कजरी लोकगीत यहीं से दुनिया तक पहुंची.

हिंदी साहित्‍य की विशेष धरा

उत्‍तर प्रदेश हिंदी साहित्य की एक विशेष धरा रही है. तुलसीदास, कबीरदास, सूरदास, जैसे सैकड़ों नगीने इस प्रदेश में जनमे हैं, जिनकी कलम ने हिंदी साहित्य को एक ऊंचाई दी. हिंदी के साथ उर्दू भाषा के चकबस्त भी यहीं से उभरे है. हालिया अयोध्या और काशी के जीर्णोद्धार के बाद यहां के पर्यटन ने दुनियाभर का ध्यान अपनी ओर खींचा है.

लाखों-करोड़ों पर्यटकों को लुभाता है प्रदेश

यद्यपि चित्रकूट, मथुरा, वृंदावन, आगरा, प्रयागराज, विंध्याचल, शाकंभरी देवी, जैसी लंबी सूची पहले से लाखों-करोड़ों पर्यटकों को लुभाता रहा है. यही नहीं राजनीति के मैदान से अधिकांश सिपहसालार मोतीलाल नेहरू, मदन मोहन मालवीय, पंडित जवाहर लाल, लाल बहादुर शास्त्री, विश्वनाथ प्रताप सिंह, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी जैसे नेताओं ने भी उत्तर प्रदेश से केंद्र तक की राह पाई थी.

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