Defence: रक्षा क्षेत्र में भारत तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ रहा है. दुनिया के कई ऐसे देश है, जो अब भारत की हथियार प्रणाली में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. इसी का ताजा उदाहरण ‘पिनाका’ मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) है. इसमें दो दक्षिण अमेरिकी देशों ने अपनी रुचि दिखाई है. वहीं, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ऐसे भी रॉकेट विकसित कर रहा है, जो 120 और 200 किलोमीटर की दूरी पर लक्ष्य को भेदने में सक्षम होंगे.
Defence: आर्मेनिया को भी निर्यात हो चुका पिनाका MBRL
आपको बता दें कि पिनाका हथियार प्रणाली का नाम भगवान भोलेनाथ के धनुष के नाम पर रखा गया है. इस रॉकेट को डीआरडीओ ने विकसित किया है. वहीं, रक्षा अधिकारियों ने बताया कि ‘हम पहले ही आर्मेनिया को पिनाका MBRL निर्यात कर चुके हैं. इसकी क्षमताओं को देखते हुए दो दक्षिण अमेरिकी देशों ने भी पिनाका हथियार प्रणाली में दिलचस्पी दिखाई है.’ रक्षा अधिकारी ने बताया कि DRDO ने अब दो तरह के लंबी दूरी के रॉकेट को विकसित करने का काम शुरू कर दिया है, जिसमें 120 किलोमीटर और 200 किलोमीटर तक के लक्ष्य भेदने वाले संस्करण शामिल हैं.
Defence: DRDO लंबी दूरी के रॉकेटों पर कर रहा काम
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों के उद्योगों में अपनी भागीदारी बढ़ाकर नए रॉकेटों का उत्पादन और विकास करेगा. हालांकि मौजूदा रॉकेट 75 से 80 किमी तक के लक्ष्य को भेद सकता हैं. अधिकारी ने कहा कि DRDO अब लंबी दूरी के रॉकेटों पर काम कर रहा है. जिन्हें उन्हीं लॉन्चर से दागा जा सकेगा, जो पहले से ही भारतीय सेना में सेवा में हैं. उन्होंने कहा कि यह लागत को बचाने में भी मदद करेंगे.
Defence: परियोजना में निजी क्षेत्र की कंपनियों के शामिल होने की संभावना
दरअसल, पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर डीआरडीओ द्वारा निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के साथ साझेदारी में विकसित स्वदेशी हथियार प्रणाली है. बता दें कि लॉन्चर वाहन टाटा समूह टाटा समूह और लार्सन एंड टुब्रो द्वारा बनाए जाते हैं. जबकि, रॉकेट सौर उद्योग और मुनिशन इंडिया लिमिटेड द्वारा बनाए जाते हैं. नए रॉकेट की परियोजना में निजी क्षेत्र की कंपनियों के शामिल होने की भी संभवना है.
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