Sambhal Riot: उत्तर प्रदेश के संभल में 29 मार्च 1978 में हुए दंगे की फाइल फिर से खुलेगी. संभल प्रशासन और पुलिस फिर से इस मामले की जांच करेगी, क्योंकि प्रदेश सरकार ने इस मामले को लेकर सात दिनों में रिपोर्ट मांगी है. दरअसल, दिसंबर 2024 में विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभल दंगे पर वक्तव्य दिया, जिसके बाद से इस दिशा में काम तेज हो गया था.
उन्होंने विधानसभा के दौरान कहा था कि 1947 से लेकर अभी तक संभल में दंगे के चलते अब तक 209 हिंदुओं की जान गई है. संभल में 29 मार्च 1978 को दंगे के दौरान आगजनी की घटनाएं हुई थीं. इस घटना में कई हिंदू मारे गए थे. वहीं, डर के चलते 40 रस्तोगी परिवारों को घर छोड़कर भागना पड़ा था, जिसे गवाह अभी भी मौजूद है, लेकिन घटना के 46 साल बाद अभी तक किसी को सजा नहीं मिली. ऐसे में प्रशासन और स्थानीय लोगों की सक्रियता से 46 साल से बंद मंदिर के पट खुले. इसके बाद से अधिकारी संभल दंगों से जुड़ी फाइलों को खंगालने लगे थे.
संभल में दो महीने लगा था कर्फ्यू
बता दें कि संभल में 29 मार्च 1978 को दंगा हुआ था, इस दौरान शहर जल उठा था. वहीं, हालात को संभालने के लिए प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया था. फिर भी शहर में दोनों समुदायों के बीच तनावपूर्ण स्थिति बनी रही. ऐसी स्थिति में कर्फ्यू का अंतराल बढ़ता गया और ऐसे ही करीब दो महीने तक संभल में कर्फ्यू लगा रहा.
दुकान बंद कराने के दौरान हुए बवाल ने ले लिया दंगे का रूप
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1976 में संभल में मस्जिद के इमाम की हत्या के बाद बवाल हो गया था. हालांकि उस दौरान तो प्रशासन ने हालात काबू पा लिया था, लेकिन शहर में तनाव बरकरार था. ऐसे में राजनितिक महत्वकांक्षी को लेकर मुस्लिम लीग के एक नेता ने बाजार में दुकानों को बंद करना शुरू किया था. वहीं, दूसरे समुदाय के व्यापारियों ने इसका विरोध किया.
इस दौरान मारपीट के हालात बनने लगे, जिससे नेता के साथी उन्हें छोड़कर मौके से भाग निकले और उन्होंने ने ही नेता के मारे जाने की अफवाह फैला दी, जिसके बाद दंगा भड़क गया. इस दौरान दुकानों में लूटपाट, पथराव, आगजनी शुरू हो गई और देखते ही देखते पूरा शहर जल उठा. जानकारों के मुताबिक, इस दंगे में कई लोग मारे भी गए थें वहीं, इस मामले को लेकर पुलिस ने करीब 169 मुकदमें दर्ज किए गए थें, जबकि तीन एफआईआर भी दर्ज कराए गए थें.