UP: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शनिवार को लखनऊ में आयोजित उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ के 42वें सम्मेलन में शामिल हुए. इस मौके पर उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ ने 102 वर्षों के अपने इतिहास में अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को एक विकसित भारत के संकल्प के साथ जोड़ा है. न्याय समता और बंधुता भारत के संविधान की थीम है और ये सम्मेलन उसका प्रतीक है.
न्यायिक सुरक्षा के लिए फंड उपलब्ध का ऐलान
सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी राज्य की छवि और परसेप्शन बनाने में न्यायपालिका की सबसे अहम भूमिका होती है. उन्होंने बताया कि साल 2024 में केवल जनपदीय ट्रायल कोर्ट्स में ही 72 लाख मामलों का निस्तारण हुआ है, हालांकि अब भी 1 करोड़ 15 लाख से ज्यादा मामले लंबित हैं.
उन्होंने न्यायिक सुरक्षा के लिए लगभग 50 करोड़ रुपये का बड़ा फंड उपलब्ध कराने का भी ऐलान किया भी. उन्होंने ने कहा कि तीन नए कानून पिछले साल 1जुलाई से लागू हुए हैं और यह सिर्फ दंड पर आधारित नहीं, बल्कि न्याय-निर्भर हैं. उन्होंने यह भरोसा जताया कि ये कानून लोकतंत्र को सशक्त बनाने में मील का पत्थर साबित होंगे.
न्याय सुगम और त्वरित हो’
इस अवसर पर सीएम योगी ने कहा कि न्याय सुगम भी हो और त्वरित भी हो. ‘अगर हमें सुशासन के लक्ष्य को प्राप्त करना हो तो न्याय को सुगम त्वरित भी बनाना पड़ेगा. इस दिशा में पिछले एक साल में जो प्रयास सराहनीय हैं. सालभर में हमारे जनपद और ट्रायल कोर्ट्स में बहत्तर लाख मामलों का निस्तारण हुआ हैं. लेकिन आज भी हमारे सामने चुनौती है कि एक करोड़ पंद्रह लाख से अधिक मामले लंबित पड़े हैं. जितने नए मामले आए थे उससे ज्यादा मामलों का हमने समाधान किया और उसका परिणाम प्रदेश में देखने को मिल रहा है.
कार्यक्रम की शुरुआत में न्यायिक सेवा संघ के अध्यक्ष ने कुछ आंकड़े पेश किये और कहा कि प्रदेश में आज प्रति न्यायाधीश तकरीबन 4,500 मामले लंबित हैं. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में हर 10 लाख की आबादी पर केवल 10 न्यायाधीश ही हैं, जबकि हर एक न्यायाधीश पूरे साल में औसतन लगभग 2,350 मामलों का निस्तारण कर रहे हैं.
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