Prayagraj: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिसके चलते संगम क्षेत्र सहित आसपास के इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. पिछले 24 घंटों में दोनों नदियों के जलस्तर में लगभग आधे मीटर की वृद्धि दर्ज की गई है. प्रशासन ने बाढ़ की आशंका को देखते हुए अलर्ट जारी किया है और तैयारियां शुरू कर दी हैं.
गंगा-यमुना के जलस्तर में बढ़ोतरी
गंगा नदी के जलस्तर में तेज बढ़ोतरी की वजह से बृहस्पतिवार की शाम को फाफामऊ में जलस्तर 79 मीटर के पार हो गया. इसी तरह से यमुना का जलस्तर भी नैनी में 79 मीटर के करीब पहुंच गया. खतरे का निशान तो 84.734 मीटर है लेकिन गंगा के कछारी इलाके की बस्तियों में 81 मीटर के बाद ही पानी घुसने लगता है. ऐसे में गंगा और यमुना नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी का क्रम यही रहा तो तीन से चार दिनों में निचले इलाके की बस्तियों में बाढ़ का पानी घुसने की आशंका बन गई है.
संगम क्षेत्र जलमग्न, घाट डूबे
गंगा और यमुना नदियों के बढ़ते जलस्तर ने संगम क्षेत्र को पूरी तरह जलमग्न कर दिया है. संगम नोज, वीआईपी घाट, दशाश्वमेध घाट, नागवासुकी क्षेत्र, सेल्फी प्वाइंट और बारादरी जैसे प्रमुख स्थान पानी में डूब चुके हैं. महाकुंभ 2025 की तैयारियों के लिए बनाए गए स्नान घाट भी पानी में समा गए हैं. यमुना का पानी अरैल की ओर घाट की सीढ़ियों और बैठकों तक पहुंच चुका है.
निचले इलाकों में भी भरा पानी
पिछले दिनों गंगा के जलस्तर में मामूली वृद्धि दर्ज की गई थी लेकिन बुधवार की रात में अचानक गंगा उफान पर रहीं. यह सिलसिला बृहस्पतिवार को भी जारी रहा. दारागंज में भी रिवर फ्रंट रोड के भीतर जाकर झोपड़ी बनाकर रहने वाले लोगों को ठिकाना बदलना पड़ा है. पूरी बस्ती बाढ़ की चपेट में आ गई है. हालांकि वहां लोग अस्थायी निर्माण करा रह रहे थे और अब ऊंचाई पर आ गए हैं. संगम तथा अन्य घाटों पर घाटियों को अपनी चौकी और ऊंचाई पर लानी पड़ी. छोटा बघाड़ा, सलोरी के निचले इलाकों में भी पानी भर गया है. गंगा नदी से बस्ती अभी दूर है, लेकिन जलस्तर में बढ़ोतरी का सिलसिला इसी तरह से जारी रहा तो जल्द लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
प्रशासन की तैयारियां
डीएम ने सभी उपजिलाधिकारियों और तहसीलदारों को संभावित बाढ़ से निपटने के लिए आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. बाढ़ आपदा शिविरों और चौकियों में महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग रहने की व्यवस्था, शौचालय, स्वच्छ पेयजल, बिजली, आपातकालीन जनरेटर, मेडिकल सुविधाएं, कम्युनिटी किचन, भोजन-पानी और पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था की जा रही है. इसके अलावा, बाढ़ प्रभावित गांवों की सूची के आधार पर प्रतिदिन निरीक्षण का आदेश दिया गया है.
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