लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है कि बकरीद पर गोवंश, ऊंट या फिर किसी भी प्रतिबंधित पशु की कुर्बानी न होने दी जाए साथ ही कुर्बानी किसी सार्वजनिक स्थान पर भी न हो। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी आयोजन में 50 से अधिक लोग एक स्थान पर एक समय में एकत्रित न हों। ईद- उल-अजहा बकरीद का त्योहार बुधवार 21 जुलाई को मनाया जाएगा। बकरीद के पर्व को देखते हुए प्रदेश सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
उन्होंने कहा कि कुर्बानी के लिए सुनिश्चित किया जाए कि चिन्हित स्थलों व निजी परिसरों का ही उपयोग हो। प्रशासन यह भी देखें कि जानवरों की कुर्बानी सार्वजनिक स्थान पर न हो। कुर्बानी चिन्हित स्थलों व निजी परिसरों में की जाए। कुर्बानी के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाए। इस संबंध में उन्होंने विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिया। इमाम ऐशबाग ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने लोगों से प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी न करने की भी अपील की है। मौलाना ने कुर्बानी के फोटो सोशल मीडिया पर न डालने को कहा है। मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने लोगों से घरों में नमाज अदा करने की अपील की है। बता दें कि कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर को लेकर प्रदेश सरकार को जोखिम नहीं लेना चाहती है इसलिए सरकार ने पिछली बार की तरह इस बार भी कांवड़ यात्रा को रद्द कर दिया है और इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में जवाब भी दाखिल कर दिया है। राज्य सरकार के जवाब से संतुष्ट होने के बाद कोर्ट ने मामले को निस्तारित कर दिया है। कांवड़ यात्रा को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा नौ जुलाई को ही सभी अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि इस संबंध में कांवड़ संघों से वार्ता की जाए तथा उन्हें इस वर्ष भी पिछले वर्ष की तरह कांवड़ यात्रा स्थगित करने के लिए राजी किया जाए, जिसके उपरांत अधिकारियों ने कांवड़ संघों से वार्ता की। कोरोना की संभावित तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए वार्ता के दौरान कांवड़ संघ ने इस साल भी यात्रा स्थगित रखने का निर्णय लिया। सीएम ने कहा था कि कांवड़ संघ की भावनाओं का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार सभी नागरिकों की आस्था का पूरा सम्मान करती है।