वाराणसी। गेहूं की तरह अब चावल में भी आयरन और जिंक जैसे पोषक तत्वों की प्रचुर मात्रा मिलेगी। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (इरी) के वैज्ञानिकों ने नौ प्रजातियों में 24 -26 पार्ट्स प्रति मिलियन (पीपीएम) तक जिंक और आयरन की मात्रा बढ़ाने में सफलता पाई है। इसे परीक्षण और मूल्यांकन के लिए ऑल इंडिया कोआर्डिनेटड राइस इंप्रुमेंट प्रोजेक्ट (एआईसीआरआईपी) हैदराबाद को भेजा गया है। इरी के एक वैज्ञानिक ने बताया कि धान की मशहूर प्रजातियों की गुणवत्ता, रोग प्रतिरोधक क्षमता और उत्पादन बढ़ाने पर काम किया जा रहा है। इसमें पूर्वांचल की प्रचलित धान की प्रजाति जीरा 32 और चंदौली का काला चावल भी शामिल है। अभी तक के शोध में नौ प्रजनित किस्मों में 24-26 पीपीएम तक जिंक और आयरन की मात्रा बढ़ाने में सफलता मिली है। इरी के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने बताया कि केंद्र में कई प्रजनित किस्मों में पोषक तत्व बढ़ाने पर काम किया जा रहा है। इसके साथ ही शुगर फ्री चावल की प्रजातियों के संवर्धन और विकास के लिए भी शोध चल रहा है। चावल की यह प्रजातियां मधुमेह जैसी बीमारियों से बचाव में कारगर साबित होंगी।