गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में कचरे से जैविक खाद बनाकर पहले स्टार्टअप की शुरुआत कर दी गई है। रोजाना 80 से 90 किलो जैविक खाद तैयार की जा रही है। नर्सरी एवं वाटिका में इस्तेमाल करने वाले लोग खरीद कर इसे ले जा रहे हैं। जल्द ही इसका दायरा बढ़ाने की तैयारी है। खास बात यह है कि अर्न-बाय-लर्न योजना के तहत दो छात्राएं कचरा बनाने से लेकर, प्रबंधन की बारीकियां तो सीख ही रहीं हैं, वे पढ़ाई संग कमाई भी कर रही हैं। विश्वविद्यालय में नॉन प्राफिट कंपनी ‘जीरो वेस्ट कैंपस’ के तहत बायोडिग्रेडेबल वेस्ट से जैविक खाद बनाने के लिए दो मशीनें लगाई गई हैं। एक मशीन विश्वविद्यालय परिसर में बॉटनी म्यूजियम के पास बने भवन में लगाई है तो दूसरी मशीन कुलपति आवास में लगी है। विभागों में कचरा संग्रहण के लिए डिब्बे भी रखे गए हैं। इस योजना के तहत परिसर का कचरा अब बाहर नहीं जाएगा, साथ ही होटल-रेस्टोरेंट से भी कचरा एकत्र कर जैविक खाद तैयार की जाएगी। विद्यार्थी कचरे से बनी जैविक खाद के स्टोरेज, पैकेजिंग और मार्केटिंग की जिम्मेदारी संभालेंगे।