नई दिल्ली। यमुना के प्रदूषण स्तर को कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने एक और कदम बढ़ाया है। इसके तहत यमुना में गिरने से पहले औद्योगिक और घरेलू कचरे का निष्तारण किया जाएगा। दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं आधारभूत अवसंरचना विकास निगम (डीएसआईआईडीसी) के 13 मौजूदा कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) की क्षमता 100 फीसदी तक बढ़ाई जाएगी। साथ ही सभी बरसाती नाले भी इस प्लांट से जोड़े जाएंगे, ताकि यमुना के प्रदूषण स्तर में बढ़ोतरी न हो। दिल्ली के जल एवं उद्योग मंत्री सत्येंद्र जैन ने डीएसआईआईडीसी, दिल्ली जल बोर्ड और राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (नीरी) के साथ बैठक की। यमुना के प्रदूषण स्तर को कम करने के लिए डीएसआईआईडीसी के 13 मौजूदा कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) की क्षमता बढ़ाने के लिए योजना, औद्योगिक कचरे को यमुना में गिरने से पहले ट्रीट करने सहित सभी बरसाती नालों को सीईटीपी से जोड़ने के अधिकारियों को निर्देश दिए। बरसाती नालों से काफी मात्रा में यमुना में गंदा पानी पहुंचता है। बरसाती नालों में औद्योगिक और घरेलू अपशिष्ट दोनों तरह का कचरा होता है। सभी स्रोतों की सफाई करने से यमुना को साफ करना आसान हो जाएगा। मंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार अपने सभी (डीएसआईआईडीसी) सीईटीपी की क्षमता बढ़ाने की योजना तैयार कर रही है। बना रही है। इनकी क्षमता बढ़ाई जाए तो यमुना में गिरने वाले प्रदूषित पानी को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके लिए सीईटीपी की कार्य क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है। दिल्ली में 29 औद्योगिक क्लस्टर में कुल 13 सीईटीपी हैं। औद्योगिक कचरे को साफ करने के लिए सभी सीईटीपी की क्षमता को 50-55 से बढ़ाकर 212 एमएलडी किया जा सकता है। फिलहाल करीब 25 फीसदी कचरे का ही ट्रीटमेंट हो रहा है। फैक्ट्रियों से निकलने वाले कूड़े को ट्रीट करने के लिए 3 सीईटीपी हैं, लेकिन लेकिन पूरी क्षमता से काम न करने की वजह से हालात में सुधार नहीं हो सका है। यमुना में बहने वाले औद्योगिक कचरे को साफ करने के लिए सभी मौजूदा संसाधनां का अधिक उपयोग किया जाएगा। इसके लिए सभी विभागों को एक साथ मिलकर काम करने की जरूरत है, ताकि 3 साल में लक्ष्य को हासिल किया जा सके। इन संसाधनों के पूर्ण उपयोग से यमुना को साफ करने की राह की चुनौतियां कम होने के साथ ही सहूलियतें बढ़ जाएंगी।